नौ दिवसीय शिविरों के जरिए आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक आरोग्य की नेमत बरसाता गायत्री शक्तिपीठ, पंचवटी
सागवाड़ा शहर की सीमा से सटा गलियाकोट मार्ग पर पंचवटी में श्रीरामनगर स्थित गायत्री शक्तिपीठ स्थल आस्था का केन्द्र होने के साथ अब स्वास्थ्य के प्रति सजग होकर वागड़ ही नहीं अपितु पूरे देश के लोग पहुंच रहे हैं।
गायत्री शक्तिपीठ में मां गायत्री, श्री
प्रज्ञेश्वर महादेव, श्री हनुमान जी मंदिर के साथ सप्त
ऋषियों की स्थापना की गई है। वागड़, मेवाड़ के अलावा गुजरात के
श्रद्धालु दिनभर दर्शनार्थ आते रहते हैं। श्रद्धालुओं की भक्ति के साथ उनका स्वस्थ
भी रहना आवश्यक है। इसी भावना के साथ गायत्री परिवार के जिला संयोजक भूपेंद्र पंड्या
ने मंदिर के ट्रस्टीयों से चर्चा कर प्रति माह नौ दिवसीय स्वास्थ्य शिविर आयोजित
करने का निर्णय लिया तथा सभी जिम्मेदारी पंड्या ने ली। अब तक गायत्री शक्तिपीठ में
40 माह पूर्व प्रथम
शिविर का आयोजन किया। शुरुआत में उपस्थिति तो कम रही लेकिन क्षेत्र में संदेश
पहुंचाने में सफल रहे।
तन शुद्धि, मन शुद्धि, आत्म शुद्धि, पुष्टि निमित्त के शिविर में लोग आते गए और शिविर के माध्यम से लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ।
नौ दिवसीय शिविर में शिविर की शुरुआत सुबह 2.55
बजे होती है। सुबह के समय भ्रमण के बाद स्नान आदि से निवृत होकर, मां गायत्री की साधना की जाती है। करीब डेढ़ घण्टे तक चलने वाली साधना में
श्रद्धालु मौन रहते है। भगवान सूर्य को अर्घ्य चढ़ाने के बाद कुछ समय के विश्राम के
बाद मां गायत्री के समक्ष यज्ञ एवं हवन किया जाता है। यज्ञ एवं हवन के बाद करीब
तीन घंटे तक योग व्यायाम कराया जाता है। योग व्यायाम के दौरान हर आधे घंटे में अलग
अलग प्रकार के ज्यूस दिए जाते हैं। योग व्यायाम के दौरान ही हाइड्रो कोलोन थेरेपी,
सोना बाथ, स्टीम बाथ, स्पाइनल
कोड मसाज, टब बाथ, जलनेति, वमन, एनीमा आदि दिया जाता है। हाइड्रो कोलोन थेरेपी
जैसी नेचरोपैथी की अत्याधुनिक मशीन के
माध्यम से आँतों की पूर्ण सफाई कर तत्काल वजन कम करने में सहायक हैं।
नव दिवसीय शिविर में उचित मार्गदर्शन एवं संतुलित भोजन के चलते
डायबिटीज (मधुमेह) को नियंत्रित होते देखा गया वहीं हाई बीपी, दाद,
खाज, खूज़ली, मोटापा,
कब्ज, गैस, एसिडिटी,
ब्लड प्रेशर, अनिंद्रा, तनाव
से मुक्ति पाते हुए भी देखा है।
शिविर में नौ दिन की साधना एवं योग, व्यायाम एवं प्राणायाम से तीन से 10 किलो वजन कम होते देखा है। शिविर में आने वाले लोग शरीर को हल्का कर मुस्कुराते हुए घरों की ओर प्रस्थान करते हैं।
व्यायाम के बाद फलाहार का नाश्ता दिया जाता है। नाश्ता के बाद
डेढ़ घंटे का विश्राम दिया जाता है। विश्राम के बाद गायत्री साधना के बाद शाम को
करीब साढ़े चार बजे सभी को भोजन कराया जाता है। कुछ समय के आराम के बाद शाम को एक
बार फिर से मां गायत्री की साधना की जाती है। शाम करीब साढ़े छह बजे आपस में
विभिन्न विषयों पर चर्चा एवं परिचय का कार्यक्रम होता है। रोजाना यही क्रम चलता
है। नव दिवसीय शिविर में श्रद्धालु 24,000 गायत्री महामंत्र का
जाप करते हैं।
यज्ञ से अलग अनुभूति की प्राप्ति
“सागवाड़ा में शिविर में भाग लेना शरीर के लिए फायदेमंद रहा।
सागवाड़ा में होने वाले यज्ञ एवं हवन में अलग प्रकार की अनुभूति प्राप्त होती है।
हवन में प्रज्ज्वलित होने वाली अग्नि अपने आप अलग है।“
- प्रोफेसर आरके सिंह, दिल्ली
जीवन में आई नई अनुभूति
“नव दिवसीय शिविर में भाग लेने से जीवन में नई अनुभूति प्राप्त हुई।मन करता है कि एक बार फिर से शिविर में भाग लेकर तन और मन को ओर सुंदर बनाया जाए।"
-आदेश कुमार शर्मा, दिल्ली
नकारात्मक भावों का अंत
“गायत्री शक्तिपीठ शिविर में साधना करने से मन के दुख, द्वेष,
पाप, भय, शोक जैसे
नकारात्मक भावों का अंत हो जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा अंतर्गत एनिमा चिकित्सा,
जलनेति, वमन मिट्टी लेपन, तेल मालिश, पेट पट्टी, गर्दन
पट्टी एवं सिर पर पट्टी लगाने की अद्भुत क्रिया करवाई जाती है जिससे शरीर के रोगों
से मुक्ति मिलती है। योग के माध्यम से तनाव से मुक्ति मिलती है और बेहतर नींद आती
है, भूख और पाचन को बढ़ाता है। स्वस्थ्य रहने के लिए भोजन
तथा सही मात्रा में आहार ग्रहण करने की जानकारी मिलती है.”
-स्वप्निल पाटीदार, सागवाड़ा।
फोटो एवँ आलेख: अमरीश त्यागी
Post a Comment