आदिवासी समाज की वागड को अनुपम देन- मांडविया हनुमान मन्दिर
मांडविया हनुमान मन्दिर, माण्डव पाल, जिला- डूंगरपुर, राजस्थान
वागड़ इलाके का पूर्ण रूप से आदिवासी भाइयों द्वारा संचालित श्री हनुमानजी का मन्दिर जहां प्रत्येक शनिवार को विशाल मेला भरता है।
इस मन्दिर के ट्रस्ट अनुसार पता चला कि मन्दिर का संचालन डूंगरपुर जिले के 9 आदिवासी चोखलौ द्वारा किया जाता है।
हालांकि, बिना किसी जात-पात, भेद भाव के इस मन्दिर में सभी वर्ग के लोग दर्शन और पूजन आराधना करते है। सामाजिक समरसता का यह मन्दिर श्रेष्ठ उदाहरण है.
इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कार्य प्रगति पर है । सुंदर कलाकृति युक्त बन रहा यह मंदिर विशाल रूप से निर्माणाधीन है। जोधपुरी लाल पत्थरो से बन रहा विशाल मंदिर आनेवाले समय में भक्ति और पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र होगा.
माना जाता है भगवान के इस मन्दिर के दर्शन से सभी मनोकामना पूरी होती है यहां राजस्थान व गुजरात से दर्शनार्थी बड़ी भारी तादात में आते है। मंदिर के आरम्भकाल से ही भील समाज के परमार वंश के लोगो की अगाध श्रद्धा का केंद्र रहा है.
कार्तिक पूर्णिमा पर यहां विशाल मेला लगता है जिसे हड़मतिया मेला कहते है, उस दिन जहां डेढ़ लाख से अधिक दर्शनार्थी दर्शन करते है । मुझे भी आज दर्शन का मौका मिला।
कहते हैं रामायण युगीन अहीरावण की कहानी भी इस से जुड़ी है. जिसमे हनुमान जी ने पाताल लोक में राक्षसो का वध किया था. इस तरह यह मंदिर काफी पौराणिक महत्व लिए हुए भी है. 
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