माँ त्रिपुरा सुंदरी का अनन्य भक्त पंचाल समाज

 राजस्थान की दक्षिणेश्वरी माँ त्रिपुरा सुंदरी अपनी अगाध आस्था की आभा, सुंदर वास्तुशिल्प युक्त मंदिर परिसर के कारण सिर्फ़ वागड़ अंचल ही नहीं, देशभर में विख्यात है. दशको पहले जब वागड़ अंचल विकास से दूर विपन्नता से संघर्षरत था, तब विश्वकर्मा ब्राह्मणो की एक शाखा पंचाल समाज ने इस मंदिर के जीर्णोद्वार करने का बीड़ा उठाया. पंचाल समाज की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित होने के कारण माँ त्रिपुरा सुंदरी से समाज का अनन्य भक्ति भाव और स्नेह भी रहा है. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि, आज मंदिर के भव्य स्वरूप में सनातन के प्रखर प्रहरी इस पंचाल समाज का अतुलनीय योगदान है. पंचाल समाज ने अपने पुरुषार्थ और सर्व समाज को साथ लेते हुए वागड़ की इस अनमोल थाती माँ त्रिपुरा सुंदरी मंदिर को सहेजा, संवारा और समृद्ध किया है. नवनिर्मित मंदिर परिसर के नवम पाटोत्सव पर माँ के अनन्य भक्त एवँ पंचाल समाज के एक अग्रणी विचारक भगवती लाल पंचाल (रिटायर्ड नायब तहसीलदार) की कलम से कुछ संस्मरण पढिए.. -(जितेंद्र जवाहर दवे, सम्पादक, वायरल वागड़ )

माँ आद्यशक्ति त्रिपुरा सुंदरी का विग्रह, तलवाडा (बांसवाड़ा) राजस्थान 

सौभाग्य की बात है कि हमारे पूर्वजो और वडील (पँचाल समाज विश्वकर्मा ब्राह्मण) जिनके त्याग, तपस्या और समर्पण के कारण आज हम सभी सनातनियो को माँ कुलदेवी त्रिपुरा सुन्दरी के दरबार के रूप में एक अनमोल विरासत मिली है 

जब हम सब के पिताजी, दादाजी पैदल चलकर हमारी कुलदेवी माँ त्रिपुरा सुंदरी के दरबार में पँहुचते थे। वे लोग उस समय अपने साथ 2 दिन का भोजन, पूड़ी, पराठे आदि बांधकर ले जाते थे।

वे लोग सुबह 5 बजे घर से निकलकर दूर दराज के विभिन्न गांवो के चौदह चोखरो के गांवो से निकलते थे और लगातार पैदल चलकर जंगलों के रास्ते भटकते हुए, जंगली जानवरों से बचते बचाते दूसरे दिन सुबह में माँ के दरबार में पँहुचते थे। लेकिन उनकी आस्था अगाध  थी, माँ उनकी रक्षा करती थी। पँचाल समाज के उन सभी पुराधाओँ को दण्डवत प्रणाम करते हुए नमन करता हूँ।


सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे पुरखों ने भले ही स्वंय द्वारा आर्थिक समस्या का सामना किया हो, ग़रीबी झेली हो, लेकिन अपनी माँ के दरबार के चहुमुखी विकास के लिए, विशाल मंदिर, परिसर एवं विशाल धर्मशाला निर्माण के लिए अपनी आस्था को सर्वोपरि रख कर दिल खोलकर दान, चंदा देकर कुलदेवी के प्रति आस्था व्यक्त की  है।

साथ ही पँचाल समाज के युवा जो कुवैत सहित अन्य खाड़ी देशों में  एवं मुंबई, अहमदाबाद आदि शहरों में रोजगाररत हैं,उनके द्वारा अपनी कुलदेवी के मंदिर निर्माण व धर्मशाला  निर्माण में अभूतपूर्व सहयोग राशि दान दी गई हैं। 

लगभग वर्ष 1960 का ब्लैक एंड व्हाइट फ़ोटो 

 बांसवाड़ा जिले के सभी सात चोखरो के एवं स्थानीय गांव तलवाड़ा व नजदीकी शहर बांसवाड़ा एवं व सभी गांवो के पँचाल भाइयों औऱ बहनों ,युवाओं के समर्पण, त्याग का तो मैं अपने शब्दों में वर्णन कर ही नहीं सकता हूँ। औऱ  वैसे अन्य सभी गांवो का नाम इस छोटे से आलेख में लिखना सम्भव भी नहीं है जिनका त्याग अभूतपूर्व हैं।

पँचाल समाज के चौदह चोखरो के लोगों का तन मन औऱ धन से त्याग, दृढ़ इच्छाशक्ति, कठोर परिश्रम समय का त्याग,अपनी कुलदेवी के प्रति अटूट श्रद्धा के कारण ही आज हम सब माँ के विशाल दरबार में खड़े होकर गर्व के साथ यह कह सकते हैं कि यह हमारी ईष्टदेवी आद्य शक्ति राजराजेश्वरी जगदम्बा माँ त्रिपुरा सुंदरी का चमत्कारिक  मंदिर हैं।

 वैसे मंदिर का जीर्णोद्धार पँचाल समाज चौदह चोखरो द्वारा  2 से 3 बार पूर्व में भी  किया जा चुका है लेकिन वर्तमान स्वरूप में जो विशाल मंदिर आज जो विद्यमान हैं, उसका निर्माण, जीर्णोद्धार 2016-17 में पँचाल समाज चौदह चोखरो के आर्थिक सहयोग से सम्पन्न हुआ हैं ।

माँ के दरबार के परिसर में लगा हुआ विशाल ऊंचा कीर्ति स्तम्भ जो की स्वर्ण धातु की परत से सु- सज्जित हैं, जिसको पँचाल समाज के दानदाताओं द्वारा समर्पण कर स्थापित किया गया है जिसके कारण माँ की कीर्ति चहुओर ,सम्पूर्ण जगत में प्रकाशित हो रही हैं। 

यह विश्व का पहला मंदिर है जिसमें मंदिर निर्माण में उपयोग की गई प्रत्येक शीला पत्थर का  नवचंडी यज्ञ,विधिविधान के साथ शीला पूजन करने के बाद ही निर्माण में उपयोग किया गया है, इस शीला पूजन में पँचाल समाज चौदह चोखरो से लगभग हर परिवार द्वारा आर्थिक सहयोग कर शिला पूजन में भाग लिया गया है।

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2025 की प्रतिपदा को पँचाल समाज के दानदाताओं द्वारा माँ को बहुमूल्य स्वर्ण मुकुट भेंट कर अपनी आस्था को प्रगाढ़ किया है।

माँ की कृपा दृष्टि पँचाल समाज पर अविरल बरस रही हैं। पँचाल समाज द्वारा  इतने विशालकाय दरबार में पाताभाई भोजनालय से लेकर सभी प्रकार की सुविधाएं सर्व समाज के आनेवाले हर दर्शनार्थियों के लिए निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं।

मंदिर में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है, मंदिर, धर्मशाला की सफाई के लिए, एवं व्यवस्था हेतु  30 से अधिक सवैतनिक कर्मचारी एवं समाज के अनेक युवा स्वेच्छा से सेवा कार्य में हाथ बंटाते हैं। मंदिर की सम्पूर्ण व्यवस्था, देखरेख , रख रखाव--त्रिपुरा सुंदरी ट्रस्ट मण्डल पँचाल समाज द्वारा किया जाता है। ट्रस्ट मण्डल का चुनाव हर तीसरे वर्ष लोकतांत्रिक प्रक्रिया से होता है। हर चोखरे से 5 सदस्य ( यानी कुल14 चोखरो से 70 सदस्य) चुनकर आते हैं, जिनके द्वारा अध्यक्ष एवं मंदिर की कार्यकारणी का चुनाव किया जाता है।

माँ के द्वार न केवल पँचाल समाज बल्कि अन्य सभी समाजों और सम्पूर्ण वागड़, मेवाड़, मालवा, गुजरात से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं और माँ अपनी कृपा बरसाती है। माँ के दर्शन के लिए राजस्थान,दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों के दर्शनार्थी, नेता, अभिनेता, कलाकार, साधु संत, मुनि ज्ञानी  दर्शन लाभ लेकर अपने को धन्य समझते हैं।

माँ के मंदिर में पँचाल समाज द्वारा और ट्रस्ट मण्डल द्वारा दर्शनार्थ आने वाले सभी श्रद्धालुओं का पूरा ध्यान रखा जाता हैं, बिना किसी भेदभाव, छुआछूत के हर समय माँ का दरबार सार्वजनिक दर्शन के लिए खुला रहता है, और दरबार में आने वाले सभी ग़रीब, अमीर  श्रद्धालुओं को अतिथि देवो भव की परिकल्पना से सेवा, सहकार,स्वागत ,बहुमान किया जाता हैं। आप भी एक बार माँ के दर्शन कर जीवन को धन्य बनावें।

नवम पाटोत्सव पर माँ और मातृभूमि के रक्षको को समर्पित मंदिर प्रांगण में आयोजित रक्तदान शिविर  

 मंदिर सिर्फ़ आस्था केंद्र ही नहीं, बल्कि धीरे धीरे एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहा है. समय समय पर यहाँ चिकित्सा शिविर, रक्तदान शिविर जैसे व्यापक जनहित में परमार्थ सेवा कार्य किए जाते हैं.

(माँ त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, तलवाड़ा कस्बे में है, जो जिला मुख्यालय बांसवाड़ा, राजस्थान से डूंगरपुर मार्ग पर 15 किलोमीटर दूरी पर हैं। )

 ~B.L.पँचाल सामलिया, रिटा.नायब तहसीलदार।

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42 टिप्‍पणियां

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर ऐतिहासिक अभिलेख , हर पंचाल बंधु को गौरव का अनुभव कराने के साथ साथ अपने पूर्वजों के प्रति आभार का भाव दर्शाता यह लेख शानदार

बेनामी ने कहा…

बहुत ही शानदार लेख माँ त्रिपुरा सुन्दरी का आशीर्वाद हम सब पर बना रहे

Xyz ने कहा…

मां भगवती कुलदेवी त्रिपुरा सुंदरी, वागड़ के लिए एक गौरवशाली स्थान है यहां देश भर के धर्म प्रेमी और संत महात्मा दर्शन और साधना के लिए आते हैं। पंचाल समाज ने इस धरोहर को संजोया , सार सम्भाल की, साथ ही मां का वैभव पूरे देश में फैलाया और मां का आशीर्वाद हजारों लोगों को लाभान्वित कर रहा हैं। वागड़ में पंचाल समाज एक अनुशासित और आदर्श समाज है जो हमेशा हर अच्छे और देश , समाज और संस्कृति के कार्यों में अग्रणी रहता हैं।

बेनामी ने कहा…

🙏बहुत ही सुन्दर लेख है 🙏माँ का आशीर्वाद बना रहे 🙏🙏

बेनामी ने कहा…

आपके विचारों को नमन🙏

बेनामी ने कहा…

साधुवाद🙏🌷

बेनामी ने कहा…

आपने सुंदर विचार प्रकट किए हैं, आपके परिवार पर माँ त्रिपुरा सुंदरी का आशिर्वाद सदा बना रहे।🙏🔱

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद, साहब🙏🌷🔱

बेनामी ने कहा…

संक्षिप्त में संपूर्ण जानकारी देने के लिए आपका आभार।

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद🙏😌

बेनामी ने कहा…

आपके विचारों से सहमत हूँ मगर लेख को और जानकारी के साथ लिखा होता तो ज्यादा प्रभावशाली होता 🙏🌹🙏

बेनामी ने कहा…

लेख बहुत श्रेष्ठ है त्रिपुरा सुंदरी तक आने जाने के साधनों की जानकारी मिल जाती तो भक्तों को सुविधा देती

बेनामी ने कहा…

बांसवाड़ा --डूंगरपुर मुख्य सड़क पर तलवाड़ा गांव हैं, तलवाड़ा से 3--4 किलोमीटर की दूरी पर मंदिर स्थित है,,गूगल पर उपलब्ध हैं।🙏

बेनामी ने कहा…

मां के बारे में जानकारी दी गई है इसके लिए आपको बहुत बहुत हार्दिक आभार प्रकट करते है।

Suresh Panchal ने कहा…

आदरणीय आपका लेख बहुत सटीक सारगर्भित है । पंचाल समाज के पुरोधा पर गौरवान्वित करने का अवसर प्रदान दिया । कुलदेवी की अनन्य आराधना से ही पंचाल समाज में सुख और समृद्धि की बेतहाशा वृद्धि हुई है। भविष्य में ऐसे ही और आलेख से समाज को दिशा प्रदान करेंगे। लिखते रहिए।
हार्दिक शुभकामनाएं......

बेनामी ने कहा…

भाई साहेब आपने गागर मे सागर भरने का प्रयास किया हैं l आपका आलेख आने वाली भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत का कार्य करेगा l वास्तव मे हमारे पूर्वजों ने अपने खून पसीने से सींच कर हमारे लिए एक बहुत बड़ी धरोहर प्रदान की हैं l
हमारे समाज की ख्याति निश्चित ही माँ के आशीर्वाद एवं कृपा दृष्टि से ही बड़ी हैं l हम अपने आपको गोरन्वित महसूस करते हैं l

बेनामी ने कहा…

अति सुन्दर

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद, प्रिंसिपल साहब🙏

बेनामी ने कहा…

माँ की कृपा हम सब पर बनी रहे।🙏🌷🚩

बेनामी ने कहा…

🙏🙏🙏

बेनामी ने कहा…

आपके द्वारा बिल्कुल सटीक एवं विस्तृत जानकारी दी गई है। भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक जानकारी है।

माही ने कहा…

https://www.facebook.com/share/p/164rDtNYqR/

तुरंत फलदायिनी राजराजेश्वरी आद्यशक्ति भगवती माँ श्री त्रिपुर सुंदरी वागड़ ही नहीं पूरे भारतवर्ष के सनातन प्रेमियों की आस्था का प्रमुख स्थल है। 11वीं शताब्दी से प्रामाणिक रूप में विद्यमान भव्य भवन में विराजित माँ श्री त्रिपुर सुंदरी की सेवा, साधना और जीर्णोद्धार आदि में पंचाल समाज 14 चोखरा के धर्मप्रेमी समाजसेवियों की अनवरत एवं महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पंचाल समाज की कुलदेवी ललितेश्वरी माँ श्री त्रिपुर सुंदरी के इतिहास, तथ्यात्मक जानकारी एवं कालांतर में किये गए जीर्णोद्धार सहित माँ का शृंगार, स्वरूप, दर्शन, सुविधा एवं व्यवस्था आदि के बारे में सारगर्भित जानकारी देता हुआ यह बहुत ही सुंदर आलेख है।
माँ के साधक एवं समाजसेवी श्री भगवती लाल जी पंचाल साहब को बहुत-बहुत साधुवाद। माँ की कृपा आप पर, समस्त भक्तों पर और पूरे भारतवर्ष पर बनी रहे ऐसी प्रार्थना करता हूँ।
https://www.facebook.com/share/p/164rDtNYqR/

बेनामी ने कहा…

वागड़ के लोकप्रिय कवि, साहित्यकार महेश जी माही द्वारा मेरे छोटे से प्रयास के लिए आशीर्वाद देने के लिए साधुवाद।🙏

बेनामी ने कहा…

हम सब पर माँ का आशीर्वाद बना रहे।🙏

Viral Vagar ने कहा…

धन्यवाद बंधू. आपके कमेंट से हमें नई उर्जा मिलेगी. कृपया वागड़ अंचल को समर्पित इस ब्लॉग ViralVagar पर अन्य पठनीय आलेखो का आनंद लेते हुए दिलचस्प जानकारी पाएँ.

Viral Vagar ने कहा…

धन्यवाद बंधू. आपके कमेंट से हमें नई उर्जा मिलेगी. कृपया वागड़ अंचल को समर्पित इस ब्लॉग ViralVagar पर अन्य पठनीय आलेखो का आनंद लेते हुए दिलचस्प जानकारी पाएँ.

Viral Vagar ने कहा…

आप सभी को दिल से धन्यवाद. आपके कमेंट से हमें नई उर्जा मिलेगी. कृपया वागड़ अंचल को समर्पित इस ब्लॉग ViralVagar पर अन्य पठनीय आलेखो का आनंद लेते हुए दिलचस्प जानकारी पाएँ.

बेनामी ने कहा…

Good write for mataji

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद🙏🌷

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर लेख है। और माँ त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के प्रारंभ से आज तक के वृतांत से जन जन को अवगत करवाने हेतु आपका आभार

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद जी।🙏🔱🚩

बेनामी ने कहा…

इस सुंदर आलेख के द्वारा आपने माँ के मंदिर हेतु पँचाल समाज के योगदान औऱ मंदिर की ऐतिहासिक जानकारी देते हुए भूली बिसरी यादों को जीवन्त कर दिया है।
इस लेख से अपनी कुलदेवी के प्रति पँचाल समाज के युवाओं में आस्था औऱ समर्पण का भाव ज्यादा प्रबल होगा, ऐसा मेरा विश्वास है।🙏जय माताजी🙏🚩

बेनामी ने कहा…

सही कहा आपने👍हम सब पर माँ का आशीर्वाद बना रहे।✨🔅⚜️

बेनामी ने कहा…

सबसे पहले जगत जननी माता त्रिपुरा सुंदरी माताजी को प्रणाम करता हूं आदरणीय आप द्वारा स्वरचित लेख ज्ञानवर्धक व अद्भुत है माताजी की कृपा आप हम सब पर बनी रहे ।

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुंदर जानकारी वागड़ की सांस्कृतिक धरोहर की जानकारी वर्तमान युवा पीढ़ी के लिया।
पंचाल समुदाय का समर्पण एक उत्कृष्ट कार्य किया है... कर रहे है।

बेनामी ने कहा…

बहुत बढ़िया पांचाल जी अपने पुराने फोटो के साथ में मां के बारे में बहुत बढ़िया वर्णन किया है

Anand panchal सनातनी ने कहा…

जय जय गिरिवर राज किशोरी जय गजबदन षडानन माता जगतजननी दामिनी दुति सादर शिवहि नवावही माथा तुम त्रिभुवन गुरु वेद बखाना
जय माता दी

बेनामी ने कहा…

महोदय,,,,,,,माँ त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर संबंधित आपका आलेख ज्ञानवर्धक, बोधगम्य, भक्तिमय एवं प्रेरणादायक है। आपका प्रयास सराहनीय है। माँ त्रिपुरा सुन्दरी केवल मंदिर मात्र नहीं है, अपितु यह जाग्रत शक्तिपीठ जन-जन की आस्था और विश्वास का केन्द्र है,,माँ का तेजोमय स्वरुप दर्शनीय एवं आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर करने वाला है।,,,अनेक साधकों,भक्तों एवं पीड़ित जन को आशीर्वाद प्रदान कर उनके दु:ख दुर कर अमृत वर्षा से निहाल करने वाली माँ साक्षात देवी स्वरुप है।,,,,इस शक्तिपीठ पर दर्शन कर मन्नत माँगने वालों की झोली कभी खाली नहीं रही है।,,,सर्व भक्तों के मनोरथ पूर्ण करने वाली माँ जगत जननी की जय हो। ।

बेनामी ने कहा…

भाई साहब नायक तहसीलदार के पद से सेवानिवृत्त श्री भगवती लालजी पंचाल सामलिया कों कोटि कोटि प्रणाम आपने बहुत सुंदर और कम शब्दों में मां का वास्तविक स्वरूप का वर्णन किया है। और में भी मां के दरबार में कराड़ा के युवा पंचाल समाज के युवा साथियों के माध्यम से दर्शन लाभ प्राप्त किया और जो बांधा मेरी शादी में आए रही थी और मेरे मित्र पंचाल समाज के युवा साथियों के द्वारा ली गई थी।वह मां ने पुरी कि मां कि शक्ति अथाह शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता है। बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब

देवराम मेहता राजस्थान पत्रिका संवाददाता आसपुर ने कहा…

आदरणीय बी.एल.पंचाल सर जय माताजी हुकम!मातारानी राज राजेश्वरी त्रिपुरा सुंदरी माताजी के मंदिर के इतिहास को लेकर आपका यह आलेख जहां गागर में सागर भर दिया है। वहीं मातारानी की महिमा को आपने सुंदर शब्दों में पिरोकर जो गुणगान किया है उसकी प्रशंसा को शब्दों में बांधना नामुमकिन है। मंदिर के प्रारंभ से लगाकर अब तक के अपडेट इतिहास के तथ्य व तर्क से परिपूर्ण यह दस्तावेज आने वाले समय में इस अतिशय तीर्थ क्षेत्र पर पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण रहेगा। वहीं सर्व हिंदू समाज के लिए भी यह आलेख एक ग्रंथ साबित होगा। इस सारगर्भित आलेख पर हमारी ओर से हार्दिक बधाई एवं आपके आरोग्यमय उज्ज्वल भविष्य की अशेष शुभकामनाएं।*

*हम पर भी रही देवी मां की कृपा*

*वर्ष 1975 से लगाकर 1982 तक बांसवाड़ा में मेडिकल स्टोर में सर्विस के दौरान हम जब भी ईच्छा होती बांसवाड़ा से किराए की साईकिल लेकर यहां दर्शन करने आते रहें थे। या यह कहें कि हमें सब कुछ मातारानी नें ही दिया है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। भविष्य के लिए हमारा एक सुझाव है कि आपकी ओर से इस आलेख का जब भी अगला संस्करण रिलीज हो उसमें आप इस मंदिर की स्थापना व मातारानी त्रिपुरा सुंदरी के प्राकट्य का भगवान महादेव से जुड़े इतिहास को भी इसके इंट्रो में समावेश करें तो आने वाली पिढियों के लिए भी यह मील का पत्थर साबित होगा।*

*यह वृत्तांत भी है खास*

*लगभग 1978 का फरवरी महिना था हम चार दोस्त सुबह 9 बजे चार साईकिल पर बांसवाड़ा से त्रिपुरा सुंदरी दर्शन करने गए इस दौरान बिच रास्ते में एक साईकिल पंचर हो गई उसे घसीटते हुए हम तलवाड़ा ले गए और वहां पंचर निकलवा कर त्रिपुरा सुंदरी पहुंचे जिसमें दोपहर की लगभग 2 बज गई। हम सभी साथी 20-22 वर्ष की आयु के होकर थक कर इतने लाचार हो गए और उपर से भूख ने हमें बेहाल कर दिया। और हमारे पास कोई खाने की व्यवस्था नहीं थी। बाल मन से मातारानी को हाथ जोड़कर कहा मां या तो तू ही भोजन की व्यवस्था करवा या वापस बांसवाड़ा जाने की हिम्मत दें। अब यह मातारानी की कृपा ही कहें कि मंदिर परिसर में ही समीप के छींच गांव के आचार्य ब्राह्मण परिवार की प्रसादी का छोटा कार्यक्रम था जिसमें लगभग 60 लोगों का भोजन था। हम मंदिर के अंदर ही निढ़ाल बैठे थे इस दौरान उनकी ओर से बुलावा आया कि बच्चों आप भी आओ प्रसादी लें लो। और हमें तो मुंह मांगी मुराद मिल गई वहां प्रसाद ग्रहण कर जो तृप्ति मिली उसका स्वाद हम आज तक नहीं भूलें है।तब हमारे बाल मन ने मातारानी का यह चमत्कार अनुभव किया कि मां कभी अपने बच्चों को भूखा नहीं सुलाती है।


देवराम मेहता राजस्थान पत्रिका संवाददाता आसपुर जिला डूंगरपुर.

बेनामी ने कहा…

भगवती लाल पँचाल की ओर से आदरणीय श्री देवराम जी मेहता साहब ( राजस्थान पत्रिका आसपुर के मुख्य संवाददाता ) श्रीमान आपने इस विस्तृत टिप्पणी के द्वारा मेरे हृदय से प्रस्फूर्त उद्द्गारो को प्रज्वलित कर दिया है।🙏
आपकी -देवी माँ त्रिपुरा के प्रति अटूट श्रद्धा को आपने मार्मिक वृत्तान्त के जरिये जो परिलक्षित किया है वो मेरे जैसे अल्पज्ञानी-सैकड़ो भक्तों की आस्था को प्रगाढ़ करेगा।
😌
आपके द्वारा मुझे इस आलेख में अनछुए पहलुओं पर शोध कर समावेश करने की प्रेरणा दी है ,जिसके लिए मेरी कोशिश जारी है, निश्चित ही माँ का आशीर्वाद मिलेगा।🚩

अंत में मै आपकी इस प्रभावशाली टिप्पणी के लिए पँचाल समाज की ओर से हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कोटिशः धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
🌷🙏जय माँ त्रिपुरे, 🙏🌷

बेनामी ने कहा…

आम आदमी को मा सुंदरी मंदिर की सचित्र जानकारी