क्या पानी की परेशानी को हमेशा के लिए हल करने में रोल मॉडेल बन पाए मॉडेल तालाब ?
वागड़ अंचल की हर पंचायत में अंदाज़न चार पांच तालाब हैं। लेकिन जन जागरुकता की कमी और सरकारी ‘टोटका’ उपाय से ना तो जल समस्या का स्थाई हल निकल रहा है, ना ही जलस्तर में कोई ख़ास इज़ाफ़ा हो रहा है. जबकि वक्त की मांग है कि पेयजल के स्थाई समाधान हेतु कोई ईमानदार प्रयास होने चाहिए.
हाल ही के वर्षो में सरकार ने गांवो के तालाबो
को मॉडेल तालाब के रूप में विकसित करने के लिए करोडो रुपए खर्च कर दिए हैं. लेकिन अब
तक की हकीकत बताती है कि ग्रामीणो को इन मॉडल तालाबों के नाम से उपयोग की गयी राशि
से जो कार्य हुआ उससे कोई लाभ नही हुआ। जबकी हर ग्राम पंचायत में कम से कम दों-तीन
तालाबों को मॉडल बनाया गया और हर एक ग्राम पंचायत में लगभग 1 करोड़ के आसपास राशि खर्च हुई।
ग्राम पंचायत नंदौड, पंचायत समिति सागवाडा़ का रामसौर तालाब इसमें पानी रहने पर नंदौड व जोगपुर, गामडा़, वाडा़, घोटाद, पंचवटी के गांवों के भूमिगत जल स्तर बढने में फायदा होगा।
सागवाड़ा पंचायत समिति के 53 ग्राम पंचायतों में 116 तालाबों के लिए 40 करोड़ 36 लाख 85 हजार की
स्वीकृति हुई जिसमें 2014-2015 से 2021-2022 तक 116 मे से 45 मॉडल तालाब
का कार्य पूरा हुआ पर पानी शुन्य। इसे दूरदर्शिता और प्लानिंग की कमी ही कहा जा सकता
है.
सरकार को मॉडल तालाबों की कार्यप्रणाली
में सुधार कर जल संग्रहण व जल संरक्षण हेतु अभियान चलाकर एनिकटो,
चैकडेमों, नदीयों व छोटे बडें बांधों के
माध्यम से हर गांव हर तालाब तक पानी पहुंचे इस हेतु पाईपलाईन / लिफ्ट की स्वीकृतियाँ
देकर पानी पहुंचाने पर चिंतन करना चाहिए, ताकि भूमिगत जल
स्तर में सुधार आ सकें और वागड़ के आमजन को पेयजल व कृषि हेतु पर्याप्त पानी मिल
सकें।
भासौर का रामेला तालाब। जिस पर मॉडल तालाब का कार्य पूरा हो चुका जिसमें लगभग 30-38 लाख का कार्य हुआ पर पानी शुन्य।
दुर्भाग्य से सरकार अस्थाई समाधानो पर
हमेशा चिंतन करती हैं। पर स्थायी समाधान पर कभी सार्थक प्रयास नही करती. इन मॉडल
तालाबों की जगह जल आवक मार्गो,तालाबो के अतिक्रमण हटाने व एनिकटों, नदीयों,बांधो से हर गांव हर तालाब पानी पहुंचाने पर सरकार ध्यान देती तो आज वागड़
म़े कृषि व पेयजल संकट ना होता। हर गांव हर तालाब पानी पहुंचे अभियान के तहत सरकार
प्रयास करती हैं तो पेयजल व कृषि हेतु वागड़ को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो पायेगा। जिससे
भुमिगत जलस्तर भी बढेगा। पर अभी तक सरकार ने जल संग्रहण व तालाबों के संरक्षण की
ओर ईमानदारी से आशानुरूप काम नही किया।
ये जोगपुर ग्राम पंचायत, गलियाकोट का मॉडल तालाब है जो मनरेगा के तहत 25-33 लाख तक का काम हुआ पर इसमें पानी शुन्य हैं।
हाल ही में, वागड़ के युवाओ ने वागड़ के पेयजल संकट को लेकर राज्य सरकार व केंद्र सरकार को ट्विटर ट्रेंड के माध्यम से अवगत करवाया जिसमें हैशटेग #वागड़वॉरीयर्सडूंगरपुरबांसवाडा और #हरगांवहरतालाबतकपानी_पहुंचे के साथ डुंगरपुर बांसवाडा़ के 200 युवाओं ने मिलकर ट्वीट कियें. जिसमें कुल 2000 ट्वीट कियें गयें जिसमें युवाओं ने वागड़ में विशाल माही बजाज सागर बांध जैसे छोटे बडें बांध जिसका पानी डूंगरपुर बांसवाड़ा के हर गांव के हर तालाब तक पहुंचे इस ओर सरकार से मांग की है. साथ ही वर्तमान सरकार ने माही नदी, मोरन नदी व दूसरी नदियों पर चेकडैम की स्वीकृतिया जारी की है।
मॉडल तालाब,नया तालाब दिवडा़ छ़ोटा। लगभग 38 लाख का काम हुआ पर तालाब में एक बुंद पानी नही। इस तालाब में पानी भरा जाता है तो दिवडा छोटा व सिलोही, वणीयाप, उदैया जैसे आसपास के गांवो का भुमिगत जल स्तर बढ़ सकता हैं.
इन सभी चेकडेमों व छोटे बडें बांधों से हर गांव के सभी तालाबों तक
लिफ्ट पाइपलाइन द्वारा पानी पहुंचाया जाए जिससे जल संचय व भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा
जिससे किसान भाइयों व क्षेत्रवासियों को कृषि हेतु व पेयजल हेतु पानी उपलब्ध
मात्रा में प्राप्त होगा। कृषि व पशुपालन के क्षैत्र में रोजगार के सुवसर स्वतः ही
पनपेगें, युवाओं को रोजगार हेतु पलायन नही करना पडेगा। वागड़
के हर गांव में आज चार पांच तालाब मिल जायेगें जो आज अधिकतर अतिक्रमणों की भेंट
चुके हैं। जिनका संरक्षण जरुरी।पंचायती राज विभाग ने एक गांव चार काम के तहत हर
गांव में एक से दो मॉडल तालाबो की स्वीकृतियां जारी की थी।
वागड़ गंगा माही नदी पर बना माही बजाज सागर डैम. विपुल जलराशि का इतना बड़ा स्त्रोत, लेकिन जन जागरुकता के अभाव और प्रभावी नेतृत्व की कमी के चलते वागड़ के असंख्य गांव इसका पर्याप्त लाभ नहीं ले पाए हैं.
मॉडल तालाबों के नाम पर
करोडो के काम करवायें पर पानी ही नही तालाब़ों में। हर गांव में मॉडल तालाब के लिए
मनरेगा मद से 40-45 लाख के काम हुए पर इन तालाबो में पानी
शुन्य ही हैं तालाबों के जल आवक मार्ग अतिक्रमणों की भेंट चढ़ चुके हैं। सरकार इन
तालाबों में पानी संग्रहण कर इनका संरक्षण करें। तालाब आबाद रहेगे तो गांव हरें
भरे होगें। राज्य सरकार तालाबों के संरक्षण पर अभियान चलाये। सरकार इन मॉडल
तालाबों की रुपरेखा में ओर भी चिंतन कर तालाबों के पानी आवक मार्गो को अतिक्रमण
मुक्त करवायें व पानी भराव कैसे हो इस पर सक्रीयता से कार्य करें. सरकार जल
संग्रहण पर ध्यान दें तो स्थाई और कारगर काम होगा.
~ नरेश पाटीदार,
संयोजक- वागड़ वॉरियर्स
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