भक्ति और पर्यटन का संगम वांदरवेड का नीलकंठ शिवालय एक त्रिवेणी संगम भी है


वैसे तो वागड़ में शिवालयो की समृद्ध विरासत है लेकिन डुंगरपुर ज़िले की सागवाड़ा तहसिल के वांदरवेड गांव का नीलकंठ महादेव मंदिर अपनी प्राकृतिक सम्पदा,  त्रिवेणी संगम और ख़ास भौगोलिक लोकेशन के कारण धर्म के साथ-साथ पर्यटन का भी केंद्र बन गया है.
गलियाकोट क्षेत्र के दिवड़ा बड़ा के राजस्व गांव वांदरवेड से तीन किलोमीटर की दूरी पर नीलकंठ महादेव मंदिर है .
माही,मोरन और कुंवारी कुंड के त्रिवेणी संगम पर नीलकंठ शिवालय की प्राकृतिक ख़ूबसूरती लाज़वाब है
नीलकंठ महादेव मंदिर मंदिर गेट का वास्तविक नाम खाडिया महादेव है . पंडित तुलसीराम व्यास के अनुसार इसका लगभग 500 वर्ष पूर्व का इतिहास हैं . जिला डूंगरपुर राजस्थान के दक्षिण पूर्व भाग पर यह गांव वांदरवेड (वादरवेडिया) खेतो के नाम से प्रसिद्ध रहा है. गांव से 3 किलोमीटर दूरी पर नीलकंठ महादेव मंदिर है.
नीलकंठ महादेव मंदिर पर तीनों नदियों का संगम है . माही नदी, मोरन नदी व कुंवारी कुंड तीनों के संगम पर स्थित है नीलकंठ महादेव का यह मंदिर स्थित है . इस त्रिवेणी संगम के तट पर होने से नीलकंठ महादेव का धार्मिक महत्व तो है ही, यह अच्छी-खासी तादाद में पर्यटको को भी आकर्षित कर रहा है. यहाँ बने हॉल, ध्यान केंद्र, भोजनशाला आदि व्यवस्थाएँ साधको और पर्यटको तथा सेमिनार, मीटिंग्स आदि के लिए भी काफ़ी मुफीद हैं. 
मध्य प्रदेश से बांसवाड़ा होती हुई माही नदी यहीं से होते हुए अपना सफर तय करते हुए कडाणा बांध में समा जाती है .इस खाडिया महादेव में कुंवारी कुंड वर्षों से अपनी पवित्रता के लिए जाना जाता हैआसपास डूँगरपुर बांसवाड़ा उदयपुर के लोग जो अपने स्नेह जनों की अस्थिया विसर्जन करने के लिए यहा आते है .

अकाल के समय में नदियों में पानी सूख जाता है तो कुंवारी कुंड पानी से पूरा लबालब भरा रहता है जो अब पूर्ण रुप से माही नदी , मोरन नदी  के संगम व कडाणा बेक वाटर बांध के क्वार्टर में समा गया है
 
मुख्य मंदिर का खाडिया (नीलकंठ) शिवलिंग
ठीक खाडीया महादेव के पास ही मोरन नदी अपने उदगम आंतरी से होकर वरदा, लोडेश्वर (ओबरी) से खड़गदा होते हुए माही कुवारी कुंड के साथ मिलती है, जो त्रिवेणी संगम कहलाता है .
वर्षों से पूर्व गांव से 3 किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव के पास 1 किलोमीटर तक झाड़िया व कंटीले बेर  हुआ करते थे सुंदर पहाड़ियों संगम का पानी हरी भरी घास के कारण गांव की गवालिये  भैस, गाय, बकरी आदि चराने आते-जाते रहते हैं एक गाय द्वारा शिवलिंग का दुग्धाभिषेक के बाद यहाँ शिवालय बना था. चूंकि शिवलिंग खंड़ित था, इसलिए यह खाडिया महादेव कहलाता था. आज भी यहाँ शिवलिंग इसका सबूत है वह अपनी प्रसिद्धि के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है .
पुनः  निरंजनी अखाड़ा के महंत 108 श्री लखन गिरी महाराज द्वारा गांव की मंदिर कमेटी द्वारा करीब 5 वर्ष पूर्व मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया जिस की डेढ़ करोड़ लागत आसपास हुई थी .
नीलकंठ महादेव  के दरबार में अखण्ड धुणी बनी हुई हैसजे धजे हवन कुंड है . भव्य आकर्षक द्वार लगाया गया हैमहाराज के रहने के लिये भव्य मकान बनाये हैअतिथियों के लिये भोजन शाला भी बनवाई है .

दिमाग की शांति के लिये मेडिटेशन के सुंदर भवन बनाये हैयहां एक बढ़िया गौशाला का निर्माण भी कराया गया है . दो हजार तीर्थ यात्रियो के भोजन  हेतु सभा भवन (पूर्व काबीना मंत्री के द्वारा  सामुदायिक भवन द्वारका द्वारा बनाया हुआ है )
 
वांदरवेड़ नीलकंठ परिसर का एकऔर नज़ारा 
छोटे बगीचे में गुलाब , केवड़ा , मोगरा ,बिली पत्र आदि लगाए गए हैं कहते हैं नीलकंठ महादेव दरबार मैं धन्य धन्य सुख संपति का आशीर्वाद लेकर जाता हैयहां वर्ष में के लगभग 500 व्यक्तियों की कालसर्प की पूजा करवाने आते हैंयहां वर्ष के लगभग 30 लघु रुद्र साधना का आयोजन किया जाता है
हर वर्ष श्रावण मास के पूरे  15 से 20  गांव द्वारा सामूहिक होमात्मक लघुरुद्र होता है2000 लोग शुद्ध देसी घी के बने दाल बाटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं . वर्तमान गाँव के सभी जातियों को सर्व समाज जातियों द्वारा मंदिर प्रबंधक कमेटी की पारदर्शिता के साथ आय व्यय का समस्त प्रकार का प्रबंध करती है .

सेवक के सानिध्य में आपके द्वार दिए गए हैं सहयोग राशि की पक्की रसीद दी जाती है . जिसमें क्षेत्र के सागवाड़ा गलियाकोट, खडगदा, जोगपुर, सिलोही, चितरी, रातड़िया, दिवड़ा छोटा, दिवड़ा बड़ा, सूरज गाँव, लिमड़ी, सीलोही, नादिया, गड़ा जसराजपुर सहित आसपास के कई लोग भाग लेते हैंसभी जाति के लोग अपनी भागीदारी बराबर निभाते हैं

दीपावली पर दवे ब्राह्मण द्वारा हर वर्ष दीपावली का प्रथम मेरिया महादेव की आरती के समय दिखाया जाता है . नीलकण्ठ महादेव के समीप त्रिवेणी संगम है . मंदिर परिसर पुरा प्रकृति की गोद मे है . आसपास घनी पहाड़िया है व अतिसुन्दर दृश्य है जो देखने लायक है .

‍~ तेजस कलाल, गलियाकोट

4 टिप्‍पणियां

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर💐💐💐

Xyz ने कहा…

बहुत सुंदर आलेख , ॐ नमः शिवाय

Viral Vagar ने कहा…

सभी पाठको का आभार. आपकी राय हमे ऊर्जा देती है. वायरल वागड‌‌ पढते रहे.

Unknown ने कहा…

सुंदर वागड़
गौरव वागड़।