शेर-ए-वागड़ गढ़ी राव साहब थे वागड़ से श्रीराम मंदिर आंदोलन के अशोक सिंहल

 महलो का वैभव छोड़कर राष्ट्र-धर्म के लिए दर-दर भटके महानायक. 

ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी राव इंद्रजीतसिंह गढ़ी
ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी राव इंद्रजीतसिंह गढ़ी 

नब्बे के दशक में जब पूरा देश श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में उबल रहा था, तो राजस्थान का दक्षिणांचल वागड़ भी इससे अछूता नहीं रहा. वागड़ अंचल में रामजन्म भूमि आंदोलन में शेर-ए-वागड़, गढ़ी ठिकाने के राव इंद्रजीतसिंह चौहान का योगदान स्वर्णाक्षरों से अंकित रहेगा। गढ़ी राव साहब के नाम से विख्यात उन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदू समाज में जन-जागरण और हिंदुत्व को समर्पित कर दिया। बांसवाड़ा रियासत के गढ़ी ठिकाने के राव होने और प्रखर वक्ता के साथ-साथ प्रबल शारीरिक क्षमताओ के कारण सर्व समाज में, खासकर जनजाति समाज में उनका व्यापक प्रभाव  सम्मान था।

एक शोभायात्रा के दौरान रावसाहब  

 जनजाति वर्ग में ईसाई मिशनरी के प्रभाव को कम करने में उनके कार्यो को हमेशा रेखांकित किया जाता रहेगा। वागड़, मेवाड़, गुजरात एवं कांठल क्षेत्र में उनको रामजन्मभूमि आंदोलन को लेकर हमेशा याद किया जाता रहेगा। और याद किए जाएंगे रौबदार आवाज़ में उनके ओजस्वी उद्बोधन 

राव साहब के साथ कई बार मंच संचालन कर चुके उस वक्त के युवा वीरेंद्रसिंह बेडसा बताते हैं कि, वागड़ के गांवगांव कस्बे एवं शहर में 1980  90 के दशक में कोई सनातनी ऐसा नहीं होगा जिसने गढ़ी रावसाहब के ओजस्वी उद्बोधन  सुनें हों और उनके फटकारों के साथ नारे लगाते हुए जयकारे  लगाए हों और जयघोष  किया हो।

राव इंद्रजीतसिंह गढ़ी एक आयोजन में 

बरसों तक नवरात्रि के दौरान गांवगांव जा कर आमजन में सनातन संस्कृति एवं हिंदुत्व के भाव एवं मूल्यों को पुनः जागृत करने तथा धर्मांतरण के खिलाफ आंदोलन चलाने में राव साहब को योगदान अन्यतम रहा है।

राव इंद्रजीतसिंह गढ़ी के साथ वीरेंद्र सिंह बेडसा 

राजसी ठाठ बाट छोड़ कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा विश्व हिंदू परषिद से जुड़े राव साहब ने मेघराजपुरी महाराज क्षीरेश्वर समेत कई संतो-महंतो के साथ राम जन्मभूमि आंदोलनरामजानकी रथयात्रा तथा रामशिला पूजन के कार्यक्रम में गांव , पाल ,फलों , ढाणियों में जाकर लोगों को रामजन्मभूमि आंदोलन को लेकर जागरूक ही नहीं किया अपितु जोड़ा भी।इस दौरान उनके ओजस्वी उद्बोधन सुनने के लिए जनमेदिनी उमड़ पड़ती थी। 

रौबदार कद-काठी वाले राव इंद्रजीतसिंह गढ़ी 

 जब वे अपनी दोनों मुट्ठियां बंद कर दोनों हाथ ऊपर उठा कर अपने चिरपरिचित अंदाज में   मोटा दादा बजरंज बली की जे तथा  रघुनाथ जी की जय  बोलते थे तो सभा स्थल जयकारों से गुंज उठता था।

राव साहब अपने जीवन के अंतिम समय तक हिंदुत्व एवं सनातन संस्कृति के। लिए कार्य करते रहे।आज राव साहब श्री हिम्मत सिंह जी गढ़ी के ये यशस्वी पुत्र इस दुनियां में नहीं हैं किंतु आज जब रामलला अयोध्या में  मंदिर में बिराजे हैं तो उन सेकड़ो लोगों के साथ उनका स्मरण तथा उनके सेवाकार्यों का उल्लेख करना वायरल वागड़ का धर्म बनता है।

 - जितेंद्र जवाहर दवे 

आलेख के सर्वाधिकार लेखक एवँ वायरल वागड़ ब्लॉग के पास सुरक्षित हैं. कॉपी पेस्ट करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी) 

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6 टिप्‍पणियां

Xyz ने कहा…

बिल्कुल सही बात है गढ़ी राव साहब का तत्कालीन समय में पूरे वागड़ में बड़ा सम्मान और लोगों में प्रभाव था और राम मंदिर आंदोलन के समय आपके जगह जगह प्रभावी भाषणों से जन जागृति हुई और नवयुवक राम मंदिर आंदोलन में जुड़ते गाय आपने वागड़ में छोटे गांवों में यात्रा की थी , मैने कई बार आपको सुना था। आपको नमन , वंदन ।

बेनामी ने कहा…

में स्वयं आसपुर साबला के दौरे में राव साहब के साथ था और उनकी आवाज में वो दम था उनके जय गोष से सच्चा हिन्दू नींद से भी जाग उठता था
वो कहते थे कि इतना जोर का जय गोष करो कि आस पास में मांडे पर भवरे भी भाग जाए

बेनामी ने कहा…

वागड़ के शेर थे,,,,, जिन्होंने सम्पूर्ण सम्भाग में हिंदुत्व की अलख जगाई थी।
नमन करता हूँ, ऐसे शूरवीर को👍🙏🌲🌻🚩

बेनामी ने कहा…

जय सनातनी हिंदू धर्म की
राव साहब 1988-89मे ओबरी भी आये थे,

बेनामी ने कहा…

राव साहब कारसेवक के रूप में अयोध्या गए उस समय मेरे पिता जी और मेरे परिवार के अन्य सदस्य b gadi राव साहब के साथ गए थे आज वे होते तो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देख कर बहुत खुशी होती

बेनामी ने कहा…

Chandra Shekhar rawal