दस्तक डूंगरपुर के प्राचीन दरवाज़ो पर..

 वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट मुकेश द्विवेदी का फोटो फीचर.

घाटी का दरवाजा

घाटी का दरवाजा

दरवाज़े हमारे घर ही नहीं, शहर की हिफाज़त भी करते आ रहे हैं. पुराने दौर में राजा-महाराजा बाहरी आक्रमणो से अपनी जनता और रियासत की रक्षा के लिए नगर के चारो तरफ़ मजबूत दरवाज़े बनाया करते थे.

सूरजपोल

यहाँ बकायदा द्वारपाल तैनात होते थे, और काफ़ी निगरानी रखी जाती थी, ताकि कोई अनावश्यक घुसपैठ न करे !! दक्षिणी राजस्थान की डूंगरपुर रियासत भी इस में कोई अपवाद नहीं है. 

घंटाला दरवाज़ा 

आज आपको डूंगरपुर के जाने-माने फोटोग्राफर मुकेश द्विवेदी के लेंस के जरिए सैर कराते शहर के सात प्राचीन दरवाज़ो से. इनका निर्माण अलग अलग दौर और शासन में हुआ है, और ये पुराने शहर के चारो तरफ बने हैं.

जूना महल प्रवेश द्वार 

कुछ जर्जर हो चुके हैं तो कुछ अब भी अडिग हैं. कुछ दरवाज़ो की बराबर देखरेख हुई तो कुछ अपनी बदहाली ख़ुद बयाँ कर रहे हैं. दुनियाभर में जागरुक लोग अपनी प्राचीन विरासतों के प्रति संवेदनशील हैं, लेकिन हमें अपनी अनमोल धरोहर की कोई कद्र नहीं. ना सरकारी तौर पे, ना सामाजिक तौर पे.

हड़मत पोल
ख़ैर, डूंगरपुर शहर अब इन दरवाज़ो से बाहर निकलकर काफ़ी फैल चुका है, लेकिन एक विरासत के तौर पे इनकी अहमियत अब भी बरकार है. जिनको उचित देखभाल की दरकार है.

चाँद पोल 

दुख की बात है कि, रोज़ाना शहर के हज़ारो लोग अब भी इन दरवाज़ो से होकर गुज़रते हैं, लेकिन वह गुज़रे कल की इस विरासत के प्रति उदासीन हैं. विरासत जिसने सदियाँ देखी, इतिहास के तमाम उतार-चढ़ाव देखे, बुरे वक्त में शहर की हिफाज़त की !!

कानेरा पोल 

हालांकि डूंगरपुर नगरपरिषद के पूर्व चेयरमेन केके गुप्ता और सुधी नागरिकों व पुरा-प्रेमियो के कारण कई दरवाज़ो का सँरक्षण व जीर्णोद्धार किया गया है.  सवाल ये है कि, क्या हम शहर की इस प्राचीन विरासत को सलामत अगली पीढ़ी को सौंप पाएंगे, या कॉन्क्रीट का जंगल बनते शहर में ये कहीं दफ़्न हो जाएगी??

आलेख: जितेंद्र जवाहर दवे, फोटो: मुकेश द्विवेदी 

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2 टिप्‍पणियां

Unknown ने कहा…

यह सही है कि रियासत की जनता की सुरक्षा हेतु इस तरह के द्वार को विशेषज्ञ काष्ठ कलाकारों द्वारा बनाये गए है। अभी भी इसकी सज संवर होती है तो शहर के लिए एक आकर्षण व राजाओं का स्मरण भी होता रहेगा एवं नव पीढ़ी को भी ऐतहासिक कला व उद्देश्य के बारे में जानकारी मिलती रहेगी।

Unknown ने कहा…

हमारा डूंगरपुर: यशवन्त द्विवेदी