सांसरिया तालाब के पीले मेढ़को के अज़ीब अवतार ने सबको सांसत में ड़ाला !
कोरोनाकाल में हर तरफ अज़ब-गज़ब खेला हो रहा है! लॉकडाउन
के चलते नदियाँ साफ़-चक्क हो गई हैं, महानगरो का प्रदूषण गायब हो गया हैं, दूर-दूर
से पहाड़ नज़र आने लगे हैं! क्या इसी तर्ज़ पे
मेढ़को ने ‘पीतावतार’ तो नहीं धारण कर लिया?
जी हाँ, जी का जंजाल बन चुके साल 2020 के जुलाई महीने के दूसरे हफ्ते में सागवाड़ा में पीले रंग के मेंढक देख कर लोग दंग रह गए! वाकया नगर के सांसरिया तालाब का है.
आमतौर पर कहा जाता है कि गिरगिट रंग बदलते हैं लेकिन
मेंढक भी रंग बदलते हैं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने मिला। आप भी यह देख कर दंग रह
जाएंगे कि डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा नगर क्षेत्र के तालाब के किनारे पर पीले रंग
के मेंढकों का जमावड़ा लग गया!! जिसने आस-पास के लोगो को हैरत में ड़ाल दिया.
इस अपने आप में बेहद अद्भुत नैसर्गिक क्रिया के कई लोग
प्रत्यक्ष गवाह बने। सोमवार को सुबह में आसपुर रोड़ पर वन विभाग की नर्सरी के पास
स्थित सांसरिया तालाब में एकदम हल्दी की तरह के पीले रंग के मेंढक नजर आए। आमतौर
पर तालाब, नदी, कुएं और जलाशयों के किनारों पर भूरे मट मेले
रंग के मेंढक देखने मिलते हैं, लेकिन सागवाड़ा में इस तालाब
के किनारे पर देखे गए मेंढक आकार में काफी बड़े होने के साथ ही गहरे पीले रंग के
थे। जिसे देखने के लिए लोगों में खासा कोतुहल रहा।
वन विभाग के रेंजर मोहम्मद फजले रब्बी और उनके साथियों ने इस नज़ारे को देखा तो वो भी दंग रह गए, क्योंकि बीते सालों में उन्होंने भी कभी ऐसा नहीं देखा। इस प्राकृतिक परिवर्तन की जानकारी जैसे जैसे मिलती गई, लोग तालाब की पाल पर खड़े होकर इस नज़ारे को निहारते रहे। हालाँकि शाम होते होते मेढकों ने अपना सामान्य रंग अपना लिया, लेकिन जिसने भी इस घटना को देखा वो भुला नहीं पा रहा है।
मादा को रिझाने के लिए मेंढक बदलते
हैं रंग :
इस संबंध में डीएफओ अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव से
जानकारी ली। उन्होंने बताया कि यह एक यूनिक नेचुरल फेनोमेना है। इस तरह के पीले
रंग के मेंढक को इंडियन बुल फ्रॉग कहा जाता है। यह नर मेंढक होते हैं जो
बिलों में रहते हैं और अच्छी बारिश होने पर बाहर निकलते हैं। इनका यह स्वभाव रहता
है कि मादा मेढ़क को आकर्षित करने के लिए रंग बदलते हैं।
मादा मेंढक सामान्य रंग के ही होते हैं। मेटिंग, संसर्ग के बाद
इन्डियन बुल फ्रॉग यानि पीले रंग के मेंढक का रंग भी सामान्य हो जाता है। प्रकृति
के जानकारों के अनुसार यह नैसर्गिक घटना हो सकती है, लेकिन
इस समय कोरोना महामारी का कहर झेल रहे लोग कई तरह की अटकलें लगा रहे हैं। कभी नहीं
देखे-सुने कोरोना वायरस ने लोगों की जिंदगी और दिनचर्या बदल कर रख दी है। कही रंग
बदलते मेंढकों के जरिये प्रकृति भी कोई संदेश दे कर लोगों को आगाह करना तो नहीं
चाहती, मेंढकों का रंग बदलना एसे कई सवाल भी छोड़ रहा है।
~ अखिलेश पंडया, वरिष्ठ
पत्रकार एवँ शास्त्री
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