डूंगरपुर की महाकाली, भक्त तारिणी, महा निराली


वागड़ अंचल का ऐतिहासिक शहर डूंगरपुर न सिर्फ़ शिवालय, वैष्णव व जैन मंदिरो का अहम केंद्र रहा है, बल्कि आदिशक्ति माँ जगदम्बा का भी उपासक रहा है. शहर में माँ को समर्पित प्राचीन मंदिरो में से एक है- महाकाली मंदिर !!
 
माँ महाकाली विग्रह, डूंगरपुर । फोटो: मनीष भावसार

जन-जन की रक्षक माँ महाकाली को कंसारा समाज की कुलदेवी भी माना जाता है.  लिहाज़ा डूंगरपुर नगर के इस धाम की देखरेख व प्रबंध में कंसारा समाज अहम भूमिका निभाता है. लेकिन यह सर्व सनातन समाज के लिए खुला है. 
किवदंती है कि युद्धभूमि में चार भाईयों में से तीन वीरगति को प्राप्त हुए और उनमें से एक को माँ महाकाली ने संरक्षण में लिया. उसी से उत्पन्न संतति ने कंसारा समाज के रूप में विस्तार पाया. इस वज़ह से कंसारा समाज का माँ महाकाली से विशेष स्नेह और माँ का समाज पर विशेष अनुग्रह रहा है.

माँ महाकाली का विग्रह, डूंगरपुर । फोटो: मनीष भावसार
कहते हैं खप्पर धारिणी, भक्त तारिणी माँ महाकाली का असली मंदिर डूँगरपुर नगर के ही घाटी इलाके में था. जो डूंगरपुर की स्थापना के सन 1358 से 700-800 साल तक की अवधि में वहीं रहा.
फिर जैसे जैसे नगर नीचले हिस्से में बसता गया, वैसे मंदिर को भी नगर के बीच कंसारा चौक में माँ को विराजमान किया गया. करीब 200-250 साल पहले समाज ने यहाँ नया मंदिर बनाया. तब से वह नगर पर नेह बरसा रही हैं. 
माँ महाकाली मंदिर का बाहरी नज़ारा, महाकाली मंदिर,  डूंगरपुर । फोटो :  मनीष भावसार
बुजुर्गो के अनुसार धनमाता पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में गुफा जिसका मुख आज भी है वहां आबाद शेर देर रात कंसारा चौक स्थित महाकाली मंदिर पर धौक देकर दर्शन कर वापस लौट जाता था !!
हरियाली अमावस को माता रानी पावागढ़ महाकाली के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन यहाँ विशेष आयोजन व श्रँगार किया जाता है. भक्तो का तांता लगा रहता है. 
माँ महाकाली का विग्रह, डूंगरपुर । फोटो:  मनीष भावसार
मंदिर में नित्य पूजा, अभिषेक, श्रृंगार, आरती, शारदीय व चैत्र नवरात्र में अलौकिक श्रृंगार, व पास ही स्थित चौक में गरबा मण्डल का आयोजन होता है.
माँ महाकाली का विग्रह, डूंगरपुर । फोटो:  मनीष भावसार
समाज के प्रवक्ता मनोज कंसारा बताते हैं कि, आप मंदिर की ऐतिहासिकता का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि डूंगरपुर में सर्वप्रथम गरबा महोत्सव का आयोजन कंसारा चौक से माताजी मंदिर से ही प्रारंभ हुआ था. 
माँ महाकाली का विग्रह, डूंगरपुर ।  फोटो:  मनीष भावसार
इसे माँ की कृपा ही कहेंगे कि, कंसारा समाज के कुल 300 जन में से लगभग सौ, सवा सौ लोगों को भजन व गरबा गायकी में महारत हैं ! समाज सेवी श्री प्रभुलाल कंसारा मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व अध्यक्ष और रमेश कंसारा मौजूदा अध्यक्ष हैं. स्व. अमृतलाल पहाड और स्व.नर्वदाशंकर पहाड का परिवार शृँगार व सेवा करता है.


~ मनीष भावसार, डूंगरपुर एवँ जितेंद्र जवाहर दवे
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1 टिप्पणी

बेनामी ने कहा…

जय महाकाली तेरा जयकारा