वागड़ का सावन, कण-कण करे शिव अराधन
उत्तर
भारत में हिन्दू मास के आधार पर माह का प्रारम्भ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से
प्रारम्भ होकर पूर्णिमा अंत तक एक माह होता है । वही गुजरात, महाराष्ट्र
सहित दक्षिणी राजस्थान के वागड़ सहित सम्पूर्ण दक्षिणी भारत में माह का प्रारम्भ
शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ कर कृष्ण अमावस्या तक को एक माह माना जाता है ।
साल 2020 में 21 जुलाई से 19 अगस्त तक वागड़ में
श्रावण मास है ।
यह मतांतरण पौराणिक समय से ही प्रचलित है जबकि दोनों जगह कलेंडर एक ही समान चलता है केवल मान्यतानुसार माह का प्रारम्भ 15 दिनों बाद व पहले होता है ।
इसलिए वागड़ में श्रावण माह 15 दिन बाद से प्रारम्भ होकर 15
दिन आगे तक चलता है ।
वैसे श्रावण माह शिव उपासना और तीर्थ यात्रा की दृष्टि से खास माना जाता है
साथ ही
इस दौरान महत्वपूर्ण त्यौहारो का आगमन होता है । जिसमें मङ्गला गौरी व्रत (श्रावण
के प्रत्येक मंगलवार), श्रावण के सोमवार व्रत, हरियाली
तीज (23 जुलाई), पवित्रा
एकादशी (30 जुलाई ), रक्षा बंधन (3
अगस्त), नाग पंचमी (8 अगस्त), जीवंतिका पूजन (14) राधन छठ (9 अगस्त), शीतला सप्तमी (10 अगस्त), जन्माष्टमी (12 अगस्त) आदि महत्वपूर्ण पर्व
पवित्रता व पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाए जाते है, इस माह की
महिमा शिव उपासना की दृष्टि से शैव भक्तों के लिए जप, तप,
ध्यान व उपासना से सर्वश्रेष्ठ होती है
।
इस माह की पूर्णिमा को श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पवित्र पर्व मनाया जाता
है, साथ ही इस दिन वेद विद्या का प्रारम्भ किया जाता है। इस
दिन यज्ञोपवीत उतार कर नया यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। संन्यासी इस माह को
स्वाध्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते है। इस माह में ऋषियों के ग्रन्थो का
अध्ययन व सत्संग का लाभ अनन्त गुना माना जाता है ।
हमारे देश में श्रावण मास वर्षा काल का समय होता है, इस समय कृषक व जनता कृषि कार्य
में व्यस्त रहती है । उधर अरण्य में रहने वाले ऋषि मुनि भी अपना स्थान छोड़कर
ग्राम्य स्थानों के समीप आकर धर्मोपदेश व ज्ञानचर्चा करते है , इसलिए यह समय चतुर्मास के रूप में भी जाना जाता है ।
इस माह में शिव पूजा, पार्थिव पूजा, लघुरुद्र, महारुद्र, अतिरुद्र का आयोजन वागड़ में चलता रहता है । वागड़ में हर गाँव और शहर में स्वंयम्भू शिवलिंग है। यहाँ अनेक शिवभक्त हुए है पूरी वागड़धरा श्रावण मास में शिवमय हो जाती है। चारों और शिवोहं शिवोहं, महादेव -महादेव, हर हर शंभु के जयकारों का गुंजन सुनने को मिलता है ।
शिव का मतलब ही कल्याण है । इसलिये इस माह में प्रकृति और मानव हर कोई शिव
को प्रसन्न करता है और सबको भोलेनाथ का आशिर्वाद मिलता है ।
- राजेंद्र कुमार पंचाल, शिक्षक एवँ संस्कृतिकर्मी
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