बड़े कमाल की वनस्पति है वागड़ में भरपूर उगनेवाला मोतु !!
वागड़ धरा ऐसी कई वनस्पतियों का घर है, जो न केवल बेहद उपयोगी हैं, बल्कि आयुर्वेदिक व चिकित्सा के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण हैं. दिक्कत ये है कि या तो हम इन से अनजान हैं या फिर उदासीन !
हम यहाँ एक ऐसी ही काम वनस्पति से आपका परिचय करा रहे हैं, जो आपके आस-पास आसानी
से मिल सकती है और आप उसका फायदा उठा सकते हैं. बशर्ते आप ये आलेख पढ़कर अपनी नज़र को
पारखी बना लें !! इस वनस्पति को हिंदी में नागरमोथा, संस्कृत मे भद्रमुस्तक, मराठी मे लवाल, वागडी मे मोतु या
सीयू कहे जाने वाले इस धान की खरपतवार का वैज्ञानिक नाम है .. Cyperus scarious.
इसकी उपरी घास पशुओ का उत्तम चारा है. तो इसके प्रकंद rhizomes औषधीय गुणो से भरपूर
हैं. आपको ताज़्ज़ुब होगा कि इसके प्रकंद को इतना पवित्र माना जाताहै कि, इनका हवन सामग्री मे
उपयोग होता है. प्रकंदो से सुगंधित गुणकारी तेल cypriol प्राप्त होता है. और यह बहुत उद्दीपक माना
जाता है.
फायदें:
सूजन दूर करने में यह बड़े काम का है. ये दुग्धवर्धक भी है, यानी स्तनपान करानेवाली
माताओ को दूध कम आ रहा हो तो प्रकंदो को
पीसकर स्तन पर लेप से दूध में वृद्धि होती है.
दुख की बात है कि अज्ञानता के कारण धान के खेतो मे जुताई से प्रकंद निकाल कर किसान इसे बेकार मान कर फेंक देते है जबकि यही नागरमोथा बाजार मे 500/- रू प्रति किग्रा बिकता है!!
किसान जिसे समस्या मानते है यह आय का स्रोत बन सकता है. नागरमोथा के कारण
खेत जोतने पर मिट्टी से चंदन जैसी सुगंध आती है!!
राइजोम से निकले तंतु इतने दृढ होते है कि हाथो से खींचकर इन्हे तोडा नही
जा सकता. दुर्भाग्य से आजकल हर्बीसाइड (खरपतवार नाशक केमिकल्स) का उपयोग होने से ये
समाप्त होने के कगार पर हैं. हमारे जानकार आदिवासी बंधू सूजन दूर करने मे इसका
उपयोग करते है.
- महेंद्र पाठक, परतापुर | शिक्षक एवँ प्रकृति प्रेमी
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