संस्कृति और प्रकृति दोनों की शान बढ़ा रहे हैं इको फ्रेण्डली श्रीफल गणेश

देश-प्रदेश में ईकोफ्रेण्डली गणेशोत्सव मनाने की मुहिम में अलग-अलग वस्तुओं से श्रीगणेश प्रतिमाओं के निर्माण की होढ़ लगी है वहीं संभाग के बांसवाड़ा जिले में इस मुहिम के तहत परतापुर कस्बे के एक गणेशोत्सव मण्डल द्वारा श्रीफल से गणपति की प्रतिमा का निर्माण करवाया जा रहा है और इसके लिए गणेश प्रतिमाओं के निर्माण में सिद्धहस्त माने जाने वाले बड़ोदिया निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक व काष्ठशिल्पकार लीलाराम शर्मा की सेवाएं ली जा रही हैं। शर्मा इन दिनों नई आबादी में अपने निवास पर अर्द्धांगिनी शांता देवी के सहयोग से पूरे उत्साह के साथ श्रीफल की इस प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं। 
बड़ौदिया के मशहूर काष्ठ कलाकार लीलाराम शर्मा श्रीफल से गणपति तैयार करते हुए. 
अंतिम चरण में है प्रतिमा का निर्माण: 
शर्मा बताते हैं की साढ़े पांच फीट ऊँची और साढ़े तीन फीट ऊॅंची इस प्रतिमा के निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और इस प्रतिमा के निर्माण के लिए अब तक 425 से अधिक श्रीफल, 7 किलो फेविकोल और अन्य सामग्री का उपयोग किया गया है। शर्मा कहते हैं कि श्रीफल से प्रतिमा निर्माण दुष्कर है तथापि युवाओं के पर्यावरण प्रेम, उत्साह और जज्बे को देखते हुए उन्होंने पूर्व अनुभवों से इस प्रतिमा का निर्माण किया है और यह सफल भी हो गया है।
 
80 के दशक से बना रहे गणेश प्रतिमाएं: 
शर्मा बताते हैं कि उन्होंने सज्जनगढ़ कस्बे में 80 के दशक में गणेश मण्डलों के लिए मिट्टी की प्रतिमाओं का निर्माण आरंभ किया था और उसके बाद मिट्टी की गई प्रतिमाएं बनाई। पूर्व में बड़ोदिया के प्रताप मार्ग की श्री विनायक सेवा समिति के लिए वर्ष 2011 2012 में दो बार श्रीफल की प्रतिमाओं का निर्माण किया था और अब श्रीफल की यह तीसरी गणेश प्रतिमा है। प्रतिमा के निर्माण इन दिनों अंतिम चरण में है और इसके श्रृंगार और अन्य कार्यो पर ध्यान दिया जा रहा है।
 
पर्यावरण के प्रति प्रेम से जगा जज्बा:
श्रीफल से गणेश प्रतिमा निर्माण पर शर्मा ने बताया कि जिलेभर में प्रतिवर्ष प्लास्टर ऑफ पेरिस से सैकड़ों प्रतिमाओं का विसर्जन अलग-अलग जलाशयों में किया जाता है और इससे जलाशयों का जल प्रदूषित होता है। वे खुद मानते हैं कि सांस्कृतिक पर्वों का आयोजन जरूरी है परंतु मानव जीवन व सुखद भविष्य के लिए पर्यावरण को भी दूषित नहीं करना चाहिए। इसके विकल्प तलाशने के दौरान उनके मन में श्रीफल गणेश प्रतिमा के निर्माण का आईडिया आया था और बड़ोदिया के एक जागरूक युवा श्रीफल के गणपति बनाने का निर्णय लिया तो उसके लिए वे सहर्ष राजी हो गए। उन्होंने बताया कि अब जिले के अन्य युवा मण्डलों द्वारा भी इस प्रकार का अनूठा कार्य किया जा रहा है तो वे खुद भी उत्साहित है और उनका मानना है कि इस प्रकार के कार्य से अन्य गणेश मण्डल भी प्रोत्साहित होंगे।
 
श्रीफल गणेश जलाशयों व पर्यावरण के लिए सुखद: 
श्रीफल के गणपति निर्माण पर पर्यावरण विशेषज्ञ गढ़ी निवासी प्राध्यापक महेन्द्र पाठक बताते हैं कि श्रीफल भारतीय संस्कृति में सबसे शुद्ध और पवित्र माना गया है। इसके गणपति के निर्माण पुण्यदायी है और इसके विसर्जन से एक तरफ जहां संबंधित जलाशय के पानी को प्लास्टर ऑफ पेरिस व हानिकारक रासायनिक रंगों की प्रतिमाओं के विसर्जन से प्रदूषित होने से बच जाता है। इसके साथ ही श्रीफल की प्रतिमा विसर्जन के बाद पानी की सतह पर आने वाले श्रीफल किसी श्रद्धालु के लिए प्रसाद रूप में प्राप्त होंगे तथा जलाशय के किनारे आने के बाद यह श्रीफल अंकुरित हो नए पेड़ भी बन सकेंगे। उन्होंने श्रीफल गणपति निर्माण के निर्णय को पर्यावरण के लिए हितकारी और अनुकरणीय निर्णय और इस प्रकार की परंपरा वागड़ अंचल के जलाशयों व पर्यावरण के लिए बेहद लाभदायक है।
 

~ जितेंद्र जवाहर दवे

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