‘ मेंगो हब’ के रूप में विकसित हो रहा बांसवाड़ा
मेंगो फेस्टिवल पर विशेष
‘आम के आम और गुठली के दाम’ मुहावरा तो सुना होगा ! क्या वागड़ के आम में वह ख़ास बात है जो उसे कमर्शियल रूप से उगाने लायक फसल के तौर पर स्थापित कर सके? क्या इसकी गुणवत्ता और वैरायटी की व्यापकता है? क्या इससे बने उत्पादो और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए ये नए अवसर पैदा कर सकता है? क्या वागड़, ख़ासकर बांसवाड़ा राजस्थान के मैंगो हब के रूप में उभर रहा है? पढ़िए ख़ास रिपोर्ट..
बांसवाड़ा, 6 जून/राजस्थान का दक्षिणाचंल बांसवाड़ा जिला वागड़ गंगा माही से
सरसब्ज है और माही के कारण ही जिलेभर में हरितिमा
का साम्राज्य दिखाई देता है। नैसर्गिक सौंदर्य से लकदक यह जिला फलों के उत्पादन के
लिए भी सर्वथा उपयुक्त है और यहीं वजह है कि यहां पर पैदा होने वाली आम की 46 से अधिक प्रजातियों की उपलब्धता को देखते हुए जिला प्रशासन, कृषि अनुसंधान केन्द्र और पर्यटन उन्नयन समिति,
बांसवाड़ा द्वारा तीन दिवसीय
‘बांसवाड़ा मेंगो फेस्टिवल,
2019’ का आयोजन
प्रस्तावित किया गया है।
मेंगो फेस्टिवल आयोजन का उद्देश्य:
मेंगो फेस्टिवल आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य बांसवाड़ा जिले में उत्पादित होने वाले आम की स्थानीय और उन्नत किस्मों के बारे में जनसामान्य को जानकारी मुहैया करवाना, किसानों को आम के बगीचे लगाने के लिए प्रेरित करना, युवा उद्यमियों को आम प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए प्रेरित करना तथा आम आधारित उद्योगों की व्यावसायिक संभावना तलाशना व इसके लिए उद्यमियों को प्रेरित करना भी है। यह फेस्टिवल आम से संबंधित जानकारियों को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के मंच के रूप में भी उपयोगी साबित होगा। इसके साथ ही ‘मेंगो हब’ के रूप में विकसित हो रहे बांसवाड़ा जिले का नाम राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करना भी इस फेस्टिवल का उद्देश्य है। मेले में लोग आम की इन प्रजातियों के बारे में जानकारी ले सकें, वे इन प्रजातियों को चख सकें, रसास्वादन कर सकें तथा वे भी इन प्रजातियों को उगाकर भरपूर लुत्फ उठा सकें, इस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता तैयारियां की गई हैं।
मेंगो फेस्टिवल आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य बांसवाड़ा जिले में उत्पादित होने वाले आम की स्थानीय और उन्नत किस्मों के बारे में जनसामान्य को जानकारी मुहैया करवाना, किसानों को आम के बगीचे लगाने के लिए प्रेरित करना, युवा उद्यमियों को आम प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए प्रेरित करना तथा आम आधारित उद्योगों की व्यावसायिक संभावना तलाशना व इसके लिए उद्यमियों को प्रेरित करना भी है। यह फेस्टिवल आम से संबंधित जानकारियों को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के मंच के रूप में भी उपयोगी साबित होगा। इसके साथ ही ‘मेंगो हब’ के रूप में विकसित हो रहे बांसवाड़ा जिले का नाम राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करना भी इस फेस्टिवल का उद्देश्य है। मेले में लोग आम की इन प्रजातियों के बारे में जानकारी ले सकें, वे इन प्रजातियों को चख सकें, रसास्वादन कर सकें तथा वे भी इन प्रजातियों को उगाकर भरपूर लुत्फ उठा सकें, इस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता तैयारियां की गई हैं।
रसीले और उन्नत किस्म की 46 आम प्रजातियां:
बांसवाड़ा जिले में परंपरागत रूप से पैदा होने वाली देसी रसीले आम की 18 प्रजातियों के साथ देशभर में पाए जाने वाली उन्नत किस्म की 28 अन्य प्रजातियों का भी उत्पादन होता है। जिले में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संचालित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, बोरवट (बांसवाड़ा) पर भी बड़े क्षेत्र में मातृ वृक्ष बगीचे स्थापित हैं जिसमें देशी व उन्नत विभिन्न किस्म की कुल 46 प्रजातियों की आम किस्मों का संकलन है। यहां पर आम के ग्राफ्टेड पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाये जाते हैं। इसके साथ ही उद्यान विभाग के अधीन गढ़ी कस्बे में ‘राजहंस नर्सरी’ भी स्थापित है जहां से विभिन्न उन्नत किस्मों के आम के पौधे किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाये जाते हैं।
बांसवाड़ा जिले में परंपरागत रूप से पैदा होने वाली देसी रसीले आम की 18 प्रजातियों के साथ देशभर में पाए जाने वाली उन्नत किस्म की 28 अन्य प्रजातियों का भी उत्पादन होता है। जिले में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संचालित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, बोरवट (बांसवाड़ा) पर भी बड़े क्षेत्र में मातृ वृक्ष बगीचे स्थापित हैं जिसमें देशी व उन्नत विभिन्न किस्म की कुल 46 प्रजातियों की आम किस्मों का संकलन है। यहां पर आम के ग्राफ्टेड पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाये जाते हैं। इसके साथ ही उद्यान विभाग के अधीन गढ़ी कस्बे में ‘राजहंस नर्सरी’ भी स्थापित है जहां से विभिन्न उन्नत किस्मों के आम के पौधे किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाये जाते हैं।
आम
का उत्पादन व विपणन:
उद्यानिकी फसलों की दृष्टि से बांसवाड़ा जिला धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। जिले में 6 हजार 316 हेक्टेयर क्षेत्र में फल एवं सब्जियों का उत्पादन होता है। जिलेभर में फलों का कुल उत्पादन 45 हजार 443 मीट्रिक टन होता है जिसमें आम, आवंला, नींबू, अमरूद, पपीता, अनार, चीकू तथा अन्य है। आम के क्षेत्रफल को देखें तो पाएंगे कि जिले के कुल फल उत्पादन क्षेत्र 3 हजार 480 हेक्टेयर में से 3 हजार 115 हेक्टेयर में आम का उत्पादन होता है जो कि कुल फलोत्पादन क्षेत्र का 90 प्रतिशत है। इसी प्रकार फलों के कुल 45 हजार 443 मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले सिर्फ आम का उत्पादन 39 हजार 120 मीट्रिक टन है जो कुल फलोत्पादन का 86 प्रतिशत है। इस उत्पादन में स्थानीय स्तर पर छोटे किसानों द्वारा किया जाने वाला उत्पादन शामिल नहीं है।
उद्यानिकी फसलों की दृष्टि से बांसवाड़ा जिला धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। जिले में 6 हजार 316 हेक्टेयर क्षेत्र में फल एवं सब्जियों का उत्पादन होता है। जिलेभर में फलों का कुल उत्पादन 45 हजार 443 मीट्रिक टन होता है जिसमें आम, आवंला, नींबू, अमरूद, पपीता, अनार, चीकू तथा अन्य है। आम के क्षेत्रफल को देखें तो पाएंगे कि जिले के कुल फल उत्पादन क्षेत्र 3 हजार 480 हेक्टेयर में से 3 हजार 115 हेक्टेयर में आम का उत्पादन होता है जो कि कुल फलोत्पादन क्षेत्र का 90 प्रतिशत है। इसी प्रकार फलों के कुल 45 हजार 443 मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले सिर्फ आम का उत्पादन 39 हजार 120 मीट्रिक टन है जो कुल फलोत्पादन का 86 प्रतिशत है। इस उत्पादन में स्थानीय स्तर पर छोटे किसानों द्वारा किया जाने वाला उत्पादन शामिल नहीं है।
आलेख एवँ फोटो: कमलेश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक, सूचना एवँ जनसम्पर्क, बांसवाड़ा
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