गायत्री यज्ञ महाअभियान: एक अनोखी पहल

वागड़ में संस्कृति, संस्कार और समरसता की अलख जगा रहा है गायत्री शक्तिपीठ सागवाड़ा 
भारतीय आध्यात्मिक परम्परा के संतो व आध्यात्मिक गुरुओ के नेतृत्व में कई सांस्कृतिक अभियान देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ते हुए लाखो लोगों के जीवन को प्रभावित कर चुके हैं. इसी क्रम में एक अग्रणी नाम है गायत्री परिवार. पूज्य आचार्य श्रीराम शर्मा द्वारा शुरू किए इस अभियान का लाभ वागड़ को भी मिला है. और वागड़ में पंचवटी, सागवाड़ा इसका प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है.
भारतीय संस्कृति में पूजापाठ, कर्मकांड, देवदर्शन, सत्संग, यज्ञ, इष्टसाधना और गुरु का आदर हमेशा से किया जाता रहा हैं । पूजा पाठ , देवदर्शन व सत्संग से मन शुद्ध होता है । तप, कर्मकांड, गुरु का आदर और यज्ञ से मन के साथ साथ वातावरण की भी शुद्धता होती है । 

यज्ञ करते गायत्री परिजन
धर्म में यम -नियम का पालन आवश्यक होता है उससे भी अधिक आवश्यकता भावना की होती है। भावना के साथ क्रिया की शुद्धि हो तो जप तप यज्ञ आदि का फल अनन्त गुना मिलता है। हर व्यक्ति आज के आपाधापी के इस युग में जप व तप नही कर पाता है । इस कारण वर्ष में एकाद -दो बार हमारे आवास में अथवा नजदीक के किसी मन्दिर में यज्ञ का विधान सम्पन्न किया जाता रहा है । यज्ञ से वातावरण में तेज, ओज और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है । एक यज्ञ करने से आस पास के 300 मीटर की परिधि में उसका प्रभाव होता है। जिस क्षेत्र में जितने यज्ञ हुए उतने गुणा लाभ उस इलाके में मिलता है । 

गायत्री शक्तिपीठ परिसर में सप्तर्षि मंदिर
जैसे 108 यज्ञ मतलब 300×108 = 32400 मीटर  इस प्रकार किसी गाँव में 108 कुंडीय यज्ञ किया जाता है तो 32 किमी के इलाके के हर गाँव के मनुष्यों सहित सभी जीवों को लाभ व कल्याण होता है । 
प्राञ्च यज्ञन प्रणयता सखाय:।। .. ऋग्वेद 10/101/2
अर्थ - प्रत्येक शुभ कार्य यज्ञ से किया जाता है । गायत्री परिवार हरिद्वार के तत्वाधान में प्रत्येक गाँव, शहर, घर यज्ञ करके सद्विचार, सत्प्रेरणा, विश्वशान्ति व सर्वजन हिताय - सर्वजन सुखाय का पुनीत कार्य किया जा रहा है। यज्ञ का तात्पर्य त्याग , बलिदान व शुभकर्म है । हवन हुए पदार्थ वायुभूत होकर प्राणिमात्र को प्राप्त होते है। यज्ञ के दौरान उच्चारित वेद मन्त्र शब्द ध्वनि आकाश में व्याप्त होकर  लोगों के अन्तः करण को सात्विक व शुद्ध बनाते है । प्रकृति का स्वभाव भी यज्ञ ही है । समुद्र, नदियाँ, बादल, फल- फूल सूर्य चन्द्र नक्षत्र वायु आदि की क्रियाशीलता उनके अपने लाभ के लिए नही है। वरन दूसरों के हित में किया जाने वाला यज्ञ ही है। यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण है, यज्ञ को धर्म का पिता कहा गया है। ऋषियों ने कहा है कि यज्ञ इस संसार चक्र का धुरा है, इसलिए मनुष्य मात्र को यज्ञ कार्य में सामर्थ्य अनुसार आहुति देनी चाहिए । इसलिए गायत्री यज्ञ सरल तरीके से संक्षिप्तिकरण के साथ लोकप्राप्य व सुलभ है।

प्रज्ञा व संस्कार जागृति वार्ता देते श्री भूपेन्द्र पंडया
इस यज्ञ के माध्यम से तीन बड़े उद्देश्य प्राप्त किए जा रहे है - 1. देवपूजा  2. दान  3. संगतिकरण । 
प्रथम उद्देश्य में गायत्री माता को घर- घर स्थापित कर पूजन करना है, गायत्री वेद माता है यह प्रज्ञा व संस्कार की देवी है। इस माध्यम से समाज में धर्म अध्यात्म व संस्कृति का अभ्युदय होगा। दान हमारे अहम, विकारों और अवगुणों की निवृती कर परलोक तक साथ चलता है। यज्ञ व दान साथ साथ चलते है। 
परिसर में राधाकृष्ण की झांकी 
संगतिकरण का उद्देश्य संगठन से है। इस माध्यम से धार्मिक प्रवृति के लोगों को सत्प्रयोजन के लिए एकत्रित करना है। जिस प्रकार देवताओं ने पुनः विजय होने के लिए प्रजापति से उनकी बिखरी शक्ति को एकत्रित कर माँ दुर्गा की शक्ति का प्रादुर्भाव किया था। उस माध्यम से देवताओ के संकट दूर हुए। एकाकी, व्यक्तिवादी और असंगठित लोग दुर्बल और स्वार्थी माने जाते है। ऐसे में हम सब इस यज्ञ अभियान के माध्यम से इन तीन बड़े उद्देश्य को पूरा कर पायेंगे। मनुष्य में देवतत्व का उदय, व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण का संकल्प पूरा कर सकेंगे। इस पुनीत कार्य को पूरा करने के उद्देश्य में वागड़ क्षेत्र के मनीषी भी तन मन से समर्पित है।

गायत्री धाम सागवाड़ा पूरे डूंगरपुर -बांसवाड़ा व आस पास के क्षेत्र में प्रत्येक नगर ग्राम ढ़ाणी ढाणी बिना किसी भेदभाव के सामाजिक समरसता के साथ यज्ञ सम्पन्न करते हुए वेदमाता गायत्री की सेवा में विद्वान मनीषी प्रयासरत है। 
गायत्री शक्तिपीठ, सागवाड़ा में माँ गायत्री का मंदिर
अब तक इस श्रृंखला में नौगामा मे 55 यज्ञदीवडा बडा मे 128 यज्ञवांदरवेड में 137 यज्ञचिखली मे 111 यज्ञ, ऩंदौड मे 5 यज्ञ, जेठाणा मे 5 यज्ञ, जोधपुरा मे 3, लिमडी मे 38+77=115 यज्ञ, तालोरा के 67 घरो मे यज्ञ, गृहे गृहे गायत्री यज्ञ अभियान के तहत सम्पन्न हुए। इसी प्रकार बांसवाड़ा जिले के घाटोल तहसील, बागीदौरा, गढ़ी तहसील, कुशलगढ़ तहसील,  बांसवाड़ा तहसील में अब तक 250 से अधिक यज्ञ अलग अलग गाँवो में सम्पन्न किए जा चुके है। दोनों जिलों में 1000 से भी अधिक यज्ञ का लक्ष्य है जो इस वर्ष में पूरा होने की संभावना है।    
यज्ञ करते गायत्री परिजन
आगामी समय में चितरी, पाडवा, सामलिया, सागवाड़ा शहर सहित सभी डूंगरपुर- बांसवाड़ा जिले में यज्ञ सम्पन्न होंगे, ऐसे में हम सब इस बहती गंगा में हाथ धोने से वंचित न रह जाए। इस यज्ञ को केवल डेढ़ से दो घण्टे के अल्प समय में पूर्ण किया जाता है। जिस गाँव में यज्ञ सम्पन्न किया जाता है वहां सामूहिक टीम गायत्री परिवार के प्रशिक्षित दक्ष यज्ञकर्ता उपस्थित होकर प्रातः कालीन वेला में 7 से 12 बजे के बीच यज्ञ सम्पन्न करते है। इसके अलावा भी शुभ प्रसंग में निःशुल्क (केवल यज्ञ सामग्री खर्चा करके) यज्ञ करवा कर आप लाभ ले सकते है। यज्ञ में दक्षिणा केवल इतनी ही है कि आप किसी एक बुराई का त्याग करेंगे।

आशा है इस अभियान में हम सब जुड़े, सहयोग प्रदान करें। हर गाँव में, हर घर में, यज्ञ हो ऐसी कामना युग निर्माण मिशन रखता है। महान युग निर्माता गरूदेव पंडित श्री राम शर्मा आचार्य के अनुसार विश्व में शांति, कल्याण, संस्कार, सद्भावना और ऋषि संस्कृति की स्थापना हो ।
बांसवाडा-डूंगरपुर के परिजनों की जिला स्तरीय बैठक

  ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। 
भावार्थ:- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

यज्ञ व गायत्री परिवार से संपर्क हेतु:
डूंगरपुर - 9982438351 , 81072366609 , 9413271717, 9619396861
बांसवाड़ा - 9413015433 , 9414497208, 9649904304 9413851018


फोटो व आलेख: राजेन्द्र पंचाल सामलिया

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