सटीक रहे वायरल वागड़ के ऑपिनियन पोल और एक्ज़िट पोल !

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले और बाद में इस बार वागड़ किसे चुनेगा?  कौन होगा वागड़ का नया कर्णधार? ये सवाल सभी के मन में उठा रहा था. इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए सीमित संसाधनो के बावज़ूद वागड़ के डिजिटल मीडिया माध्यम वायरल वागड़ ने वागड़ में वोटिंग और मतदाताओ का रुझान जानने की दो बार कोशिश की जो अच्छी-खासी जन भागीदारी के साथ कमोबेश सटीक निकली !!

सबसे पहले तो हम यह साफ़ कर देते हैं कि यब सर्वे बिल्कुल हस्तक्षेप-मुक्त, पूरी तरह फेसबुक टूल्स के माध्यम से किया गया है. जिस में हम या कोई भी व्यक्ति चाहकर भी कोई छेड़खानी नहीं कर सकते.
दूसरी बात यह सर्वे सिर्फ़ सोश्यल मीडिया में एक्टिव लोगो तक सीमित रहा जिसे हम आम जनता के मूड का प्रतिनिधित्व मान रहे हैं. ना तो पूरे वागड़ की जनता तक पहुंचना और पूछना सम्भव है, ना ही हमारे पास इतना धन और संसाधन है. हाँ, लेकिन आप इसे वागड़ का सबसे बड़ा Pre Poll और Exit Poll Survey मान सकते हो!

हमने पहला सर्वे एक प्रीपोल सर्वे के रूप में एक ऑपिनियन पोल दिसम्बर 2018 में आयोजित किया, जो लगभग दो हफ्ते चला और इस में करीब 1000 लोगो ने हिस्सा लिया था.

प्रीपोल हमारा सवाल था: क्या लगता है वागड़ में सर्वाधिक सीटे कौन जीतेगा?
इस में दो विकल्प दिए थे: 1) कांग्रेस और  2) भाजपा
इस सर्वे में 24% लोगो ने कांग्रेस को जबकि 78% लोगो ने भाजपा को जीतने वाला माना !!
इसके ठीक 4 महीने बाद हमने चुनाव के ठीक बाद यानी 29 अप्रैल शाम 6 बजे से एक हफ्ते के लिए एक्जिट पोल खोला और लोगो से ये जानने की कोशिश की कि उन्होने किसको वोट दिया. यह एक्ज़िट पोल करीब एक हफ्ता चला.  और इस में लगभग 1200 लोगो ने भाग लिया था.

एक्जिट पोल में हमारा सवाल था: First Exit Poll क्या है वागड़ का मूड़ ?
इस में दो विकल्प दिए थे:  1) मोदी  2) नो मोदी
इस सर्वे में 20% लोगो ने नो मोदी यानी कांग्रेस+ बीटीपी को, जबकि 80% लोगो ने मोदी यानी भाजपा के जीतने वाला माना !!

आपको बता देते हैं कि यह पोल 100 फीसदी वास्तविक भागीदारी और बिना किसी दखल के था. क्योंकि ये फेसबुक के विशेष टूल के माध्यम से किया गया था. जिसको किसी भी तरह से मैनुपुलेट करना असम्भव है.  इसके बावज़ूद कई पाठको ने अपने उम्मीदवार को हारते देखकर भद्दे कमेंट किए और सर्वे में पक्षपात के आरोप लगाए. हालांकि ऐसे सर्वे में हारने वाले दल के लोग अमूमन सर्वे को फर्ज़ी करार देते हैं या नाख़ुश होते हैं, जो एक आम बात है.  खैर, सचाई से आंख मूंद लेने वालो के लिए हम कुछ नहीं कह सकते.

लब्बो-लुआब 
नतीज़ा आपके सामने है,  हमारे सर्वे के अनुसार ही भाजपा प्रत्याशी कनकमल कटारा ने जीत हासिल करते हुए, सर्वाधिक वोट हासिल किए. वही कांग्रेस के ताराचंद भगोरा दूसरे स्थान पर तो बीटीपी के कांतिभाई रोत तीसरे स्थान पर रहे.
आप हमारे एक्ज़िट पोल के सवाल पे गौर करेंगे तो देखेंगे कि हमने कांग्रेस और बीटीपी को एक ही खांके में रखा था, क्योंकि फेसबुक की व्यवस्था के अनुसार ज़वाब के लिए सिर्फ़ दो ही विकल्प होते हैं.  इसलिए हमने सीधा-सादा सवाल पूछा कि किसे वोट दिया? मोदी या  नो मोदी?
एक और अहम बात, कि इन दो सर्वे के बीच लोकसभा के ही नहीं, विधानसभा के चुनाव भी हुए थे. लेकिन हमारा सर्वे लोकसभा सीट पर केंद्रित था. हालांकि विधानसभा चुनावो के केंद्र में वसुंधरा राजे सिंधिया थी और लोकसभा के केंद्र में नरेंद्र मोदी थे. जिससे इन दोनो चुनावो में वोटिंग पैटर्न का अंतर और विधानसभा चुनाव में सर्वे से परे परिणाम साफ़ दिखते हैं. और ये भी साफ़ होता है कि जिन लोगो ने विधानसभा में भाजपा को वोट नहीं दिया था उन्होने लोकसभा में मोदी के नाम पे भाजपा को वोट दिया. 

इसके अलावा विधानसभा चुनावो में उभरी बीटीपी लोकसभा में मंद ज़रूर पड़ी, लेकिन चौरासी तथा सागवाड़ा में उसने लोकसभा में भी अच्छा खासा प्रभाव छोड़ा.  लोकसभा चुनावो में आसार बीजेपी वर्सेज बीटीपी के थे, लेकिन बीटीपी तीसरे नम्बर पर चली गई और उसका काफी वोट शेयर कांग्रेस ने हासिल कर लिया.  वहीं साफ़ नज़र आता है कि बीटीपी बांसवाड़ा ज़िले में डूंगरपुर की तरह अपना असर नहीं छोड़ पाई. एक और अहम बात उभर कर आई है कि विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के पक्ष में 24% लोगो ने वोट किया वह लोकसभा आते-आते सिर्फ 20% रह गया. यानी लोग नवगठित राज्य सरकार से नाराज हैं व कुछ लोगो की नाराज़गी सिर्फ वसुंधरा से थी, भाजपा/मोदी से नहीं !!

आखिरी बात... 
इस सटीकता से हमारा विश्वास बढ़ा गया है कि हमारे पाठक ईमानदारी से अपनी राय रखते हैं, उनका हम पर भरोसा है और वागड़ के सियासी ही नहीं कारोबारी नब्ज़ को पकड़ने के लिए ऐसे सर्वे कारगर हो सकते हैं. राजनेता और राजनीतिक दल ही नहीं, विभिन्न ब्रांड्स, व्यवसायी और सरकारी अमला भी वायरल वागड़ के  इस नवाचार का लाभ ले सकता है.

~ जितेंद्र जवाहर दवे

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