रंगपंचमी पर वजवाना में ये खेल देखकर आप भी कहेंगे: "व्हाट एन आडिया सरजी" !
वागड़ और सम्पूर्ण राजस्थान की होली काफ़ी विविधता लिए होती है. गैर नृत्य के साथ साथ विभिन्न क्षेत्र में अलग अलग परम्परा के खेल, उत्साह, उमंग के साथ होली मनाई जाती है! वागड़ में कही पर पत्थर की राड तो कही पर कंडो की राड, तो कहीं गढ भेदन और पुतला पंचमी जैसी अनूठी परम्पराओ का चलन है.
होली के बाद रंगपंचमी के दिन
भी वागड़ अंचल में काफी रोचक परम्पराएँ निभाई जाती हैं. बांसवाड़ा जिले के वजवाना
गांव में होली के बाद रंग पंचमी के दिन एक ऐसी ही अनूठी परम्परा के साथ होली उत्सव
मनाया जाता है. इस दिन एक विशेष ही खेल
होता है जिसे "आडिया " नाम से जाना जाता है.
गांव के बड़े बुजुर्गो से प्राप्त जानकारी के अनुसार आडिया का खेल पिछले लगभग 500 वर्षो से भी अधिक समय से वजवाना में लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर पर खेल होता आया है ! इस परम्परा की खूबसूरती ये है कि इसमें महिलाओं की भी अहम भूमिका होती है.
ऐसी मान्यता है की
पूर्व में यहाँ रोड़वाल ब्राह्मण रहते थे जिन्होंने लक्ष्मीनारायण मंदिर निर्माण के
पश्चात् होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी के दिन आडिया खेल की शुरुवात की थी. लेकिन कालान्तर में ब्राह्मण विभिन्न रोजगार उद्योग हेतु गांव से पलायन कर गए और विभिन्न शहरो में
बस गए. लेकिन ग्रामीणो को यह विरासत सौंपकर इस परम्परा को बनाये रखने को कह गए. तब से ये परम्परा का आयोजन किया जा रहा है.
इस खेल में, गांव में भगवान लक्ष्मीनारायण मंदिर के पास उनको साक्षी मानकर लोग एकत्र होते हैं. पुरुष तथा महिलाएं सभी ढोल नगाड़ो की ताल पर खेलते है. आडिया लकड़ी के बने होते है इसमें दो लकडियो के मध्य एक लकड़ी होती है. पुरुष इसे दोनों हाथो में ले कर दौड़ते व महिलाओ द्वारा इन्हें रोकने का प्रयास किया जाता है. यह खेल काफ़ी रोमांचक और देखने लायक होता है. इस दिन वजवाना के आस पास गांव से भी लोग ये अनोखा खेल देखने के लिए हजारो संख्या में आते है!
~ जयेश एम पांचाल, वजवाना, शिक्षक
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