बांसवाड़ा के ये सराफ ज़िंदगी का जेवर देकर लोगो को बचाते है!
सराफ नाम सुनते ही हमारे मन में आकर्षक जेवरात के चित्र चमकते हैं. लेकिन हम आपको रु-ब-रु कराते है एक ऐसे सराफ से जो सोने चांदी के जेवर नहीं, बल्कि ज़िंदगी का जेवर यानी अपना खून देकर लोगों की ज़िंदगियाँ बचाते हैं.
‘रक्तदान महादान’ की बात तो सभी करते हैं, लेकिन रक्तदान करंने से ज़्यादातर लोग डरते हैं. ऐसे में बांसवाड़ा शहर के राहुल सराफ एक उम्मीद की किरण बनकर उभरते हैं. कई जाने- अनजाने लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए राहुल अब तक रिकॉर्ड तोड़ 40 से ज़्यादा बार रक्तदान कर चुके हैं.
राहुल सराफ ना सिर्फ रक्तदाता है बल्कि उन्होंने एक संस्था भी बनाई
है जिसका नाम है रेड ड्राप इंटरनेशनल, बाँसवाड़ा. यह संस्थान जरूरतमंद लोगों को रक्त उपलब्ध
करवाती है. उन्होने रक्तदान मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कई वॉलंटियर्स को भी
प्रेरित किया है और एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए रक्तदान करने को इच्छुक लोगो को
जोड़ रखा है. ताकि ज़रूरत के समय इनकी सेवाएँ ली जाएँ. राहुल के पिता नटवरलालजी सराफ भी बांसवाड़ा के एक सरल हृदय समाजसेवी थे. और अस्पताल के पास ही घर होने से वह मरीजो और निर्धन ज़रूरतमंदो की सेवा में सक्रिय रहते थे. राहुल अपने पिता के इन्ही संस्कारो और विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.
इतना ही नही राहुल अपना अधिकांश समय बाँसवाड़ा के महात्मा गांधी
चिकित्सालय में बिताते हैं वो लगबग पिछले 30 वर्षो से रोज चिकित्सालय आते है और मरीजो को हर
सम्भव मदद की कोशिश करते हैं. लोगो की मरहम-पट्टी से लेकर हर तरह की सेवा करते हैं.
30 वर्ष पूर्व जब बाँसवाड़ा में खून का नाम सुनकर ही
लोग भाग जाते थे तब राहुल सराफ अकेले रक्त दान करते और दूर-दराज के गांवो से लोगो
को समझा बुझाकर लाते और रक्त उपलब्ध करवाते. हॉस्पिटल में कचरा साफ करना,
पोछा निकलना, मरीजो को खाना उपलब्ध करवाना, मरीजो को कंबल आदि ज़रूरी सामान उपलब्ध कराना जैसे काम राहुल करते रहे
हैं.
एक बार की बात है जब राहुल सराफ हॉस्पिटल में दीवारों पर लगे पान गुटखे के निशान साफ कर रहे थे तो हॉस्पिटल में दौरा कर रहे तत्कालीन कलक्टर राजीव ठाकुर इस सेवाव्रती सराफ को देख उनसे बहुत प्रभावित हुए और उसी साल 15 अगस्त को राहुल सराफ को सम्मानित किया. और दो-दो बार उन्हे कलक्टर से सम्मान मिला है.
अपने भागीरथ काज के लिए राहुल
को कई बार चिकित्सा विभाग ने सम्मानित किया है. वहीं भारत विकास परिषद, रोटरी क्लब, जेसीस क्लब नेहरु युवा केंद्र आदि
संस्थाओ ने भी उन्हे सम्मानित किया है. मशहूर पत्रिका Harmony Celebrate
Age ने भी राहुल पर लेख छापा है.
कच्छ में भूकम्प के दौरान भी राहुल अपने दोस्तो के साथ राहत सामग्री का
ट्रक लेकर पहुंच गए थे और कई दिनो तक वहाँ राहत शिविर लगाया. वह कई बार ज़रूरत्मंद
लोगो के लिए नि:शुल्क नेत्र शिविर, आयुर्वेद चिकित्सा शिविर और रक्तदान शिविर लगा चुके
हैं.
वह रेड क्रॉस सोसायटी, मेडिकल रिलीफ सोसायटी,
नेहरु युवा केंद्र आदि कई रक्त
संग्रहण एनजीओ और ब्लड बैंक से जुड़े हुए है जिले में ही नही उदयपुर,जयपुर, अहमदाबाद, मुम्बई, बेंगलुरु तक मे राहुल सराफ के सम्पर्क है
और वहाँ भी लोगो को रक्त उपलब्ध करवाने में सहायता करते है. यह भी एक संयोग ये है
कि 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस होता है और 14 जून को ही राहुल सराफ का जन्मदिन भी है. मानो राहुल रक्तदान के लिए ही
पैदा हुए हो!
‘वैष्णव जन तो तेने कहिए,
जो पीर पराई जाने रे’ को मूल मंत्र मानने वाले राहुल सराफ और
उनका निस्वार्थ सेवा भाव आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल हैं.
बांसवाड़ा और आस पास रहने वाले लोग रक्तदान और उसकी ज़रूरत के
लिए राहुल से इन नम्बरो पर सम्पर्क कर सकते हैं: 9414725196.
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~ | अजय कलाल |
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