साधना के तप से पत्थर भी पिघल जाते हैं- RAS मुकेश कलाल बिछीवाड़ा




डूंगरपुर। साधना के तप से पत्थर भी पिघल जाते हैं, जो मोहब्बत मंजिल से करते हैं, वो रास्ते भी उनके हो जाते हैं। यह कहना है जिले के बिछीवाडा निवासी प्रतिभावान युवा मुकेश कलाल का जिनका वर्ष 2010 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए 40 व रेंक पर चयन हुआ है। वर्ष 1998 से प्रशासनिक सेवा में उच्च पद पर चयन के लिए संघर्ष कर रहे कलाल का अच्छी रेंक के साथ चयन होने पर हर्ष का माहौल है। 
राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2010 में आयोजित परीक्षा में मुख्य सूची में राजस्थान में 40वीं रेंक तथा अन्य पिछडा वर्ग में दसवीं रक हासिल करने वाले कलाल शांत व हंसमुख स्वभाव के धनी है तथा प्रारंभ से ही प्रतिभावान रहे हैं। उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए आरएएस बनिए, प्रशासन के संगकार्यक्रम के तहत भी युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान किया था। वर्तमान में सहकारिता विभाग में निरीक्षक पद पर कार्यरत कलाल इससे पूर्व नवोदय विद्यालय में पीजीटी इतिहास के पद पर सेवाएं दे चुके हैं। 
आध्यात्मिक विषयों और सहजध्यान में रूचि रखने वाले कलाल अपनी सफलता का श्रेय अपने ईश्वर और गुरु पी. राजगोपालाचारी के आशीर्वाद और अपनी माता शिवी देवी, धर्मपत्नी लता कलाल, ससुर नायब तहसीलदार बालकृष्ण कलाल व अपने भाई-बहनों के प्रोत्साहन व सहयोग को देते हैं। उन्होंने पूर्व कलक्टर नीरज के.पवन के मार्गदर्शन तथा पीआरओ कमलेश शर्मा, दर्शनशास्त्र के मार्गदर्शक धर्मेन्द्र कुमार, इतिहास के मागदर्शक रजनीश राज, साहित्यकार व सहजमार्ग प्रशिक्षक प्रदीप भट्ट व दोनों जिलों के अंतरंग मित्रों के प्रोत्साहन को भी अपनी सफलता का सहयोगी बताया है। 
घर के आध्यात्मिक वातावरण और बेटी मालती-मंगला के वात्सल्य वशीभूत जीवन के कारण राजस्थान प्रशासनिक सेवा में 40 वीं रेंक पर चयन होने पर उत्साहित कलाल का कहना है कि सफलता के लिए संघर्ष आवश्यक है, मन में दृढ निश्चय के साथ यदि प्रयास किया जाए तो सफलता सहज हो जाती है। उन्होंने ग्रामीण परिवेश व पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं में प्रशासनिक सेवाओं जैसी परीक्षाओं के प्रति नैराश्य भाव पर कहा कि ग्रामीण परिवेश कभी भी सफलता में बाधक नहीं बनता है। वे भविष्य में प्रशासनिक सेवा के माध्यम से समाज के गरीब, कमजोर वर्ग और ग्रामीण तबके से आने वाली प्रतिभाओं को मदद करने की ईच्छा रखते है और कहते है कि इससे उन्हें मानसिक संतुष्टी भी मिलती है। 

उन्होंने अपने स्वयं के ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने तथा कई तरह की असफलताओं के बाद सतत प्रयास के बाद मिली सफलता को युवाओं के लिए प्रेरक बताया। कलाल के अच्छी रेंक पर चयनित होने पर प्रशासनिक सेवाओं के लिए तैयारी कर रहे युवाओं में हर्ष व्याप्त है और उन्होंने कलाल को इस सफलता पर शुभकामनाएं दी हैं।


कलाल को राजस्थान प्रशासनिक सेवा में 40 वीं रेंक पर मिली सफलता के पीछे की कहानी भी रोचक और प्रेरणादायी है। वर्ष 1998 से अनवरत प्रशासनिक सेवाओं के लिए तैयारी कर रहे कलाल को प्रथम प्रयास में ही प्रारंभिक परीक्षा में सफलता प्राप्त हुई थी परंतु अब तक प्रशासनिक व अन्य शैक्षिक सेवाओं के लिए 20 साक्षात्कार देने के बाद ईच्छित सफलता प्राप्त हुई है। इससे पूर्व कलाल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होकर वर्ष 2004 तथा वर्ष 2006 में साक्षात्कार भी दिया था परंतु इसमें सफलता नहीं प्राप्त हो पाई थी। राजस्थान प्रशासनिक सेवा की वर्ष 2007 में 535 वीं रेंक पर चयन हुआ था और वर्तमान में सहकारिता निरीक्षक के पद पर डूंगरपुर में कार्यरत है। इसी प्रकार वर्ष 2008 में इसी परीक्षा में 245 वीं रेंक प्राप्त हुई थी जिसकी पदस्थापन सूची प्रतिक्षित है। 



लेखक : श्री कमलेश शर्मा 'कक्कू'. सप्रति: सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी, डूंगरपुर एवं नामी फोटोग्राफर.  श्री शर्मा की बांसवाडा केन्द्रित 'कोफी टेबल बुक' भी प्रकाशाधीन है. 

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