अदभुत हैं विराट के अर्धनारीश्वर

शिव और शक्ति का एकाकार स्वरूप है अर्धनारीश्वर ! भगवान शिव और माँ पार्वती के इस रूप का वर्णन हमारे प्राचीन ग्रंथो में भी है.


अर्धनारीश्वर (अंधेरी माता) का विग्रह फोटो: जितेंद्र जवाहर दवे 

डूंगरपुर जिले के ओबरी से करीब 3 किमी. दूर ओबरी-आंतरी मार्ग पर विराट गाँव में है वागड़ का इकलौता अर्धनारीश्वर मंदिर. जिसे यहाँ स्थानीय बोली में अंधेरी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह अर्धनारीश्वर की दुर्लभ प्रतिमा कुछ वर्षों पूर्व तक विराट में उपेक्षा का शिकार रही और उस पर सिंदूर-पन्नियो से वागे आदि करके पूजन होता रहा. लेकिन ओबरी के पंडित विनोदचंद्र दवे को स्वप्नादेश मिला कि यह माताजी की प्रतिमा है. इसके बाद जागरुक ग्रामीणों ने इसको पुन: विधि पूर्वक स्थापित किया.

एक ही पत्थर पर बनी अर्धनारीश्वर की आदमकद प्रतिमा श्याम वर्ण की है.  प्रतिमा के मस्तक पर श्रीगणेश विराजमान हैं. प्रतिमा का आधा हिस्सा शक्ति का होने से उस हिस्से के हाथ में कंगन, पैरो में पायल आदि बनी हुई है, वहीं नारी-सुलभ केश विन्यास है. तो दूसरा आधा हिस्सा शिव का प्रतिरूप है. चरणो में रिद्धी-सिद्धी की छोटी प्रतिमाएँ बनी हुई हैं. यह सुंदर प्रतिमा पुरातत्व के लिहाज़ से भी काफी अहम है.
अर्धनारीश्वर (अंधेरी माता) परिसर | Drone Shoot: विशाल मेहता
यहाँ विशाल मंदिर और गौशाला का निर्माण कार्य जारी है. निर्माणाधीन मंदिर भी वास्तु शिल्प का अनूठा उदाहरण बनने जा रहा है. कहते हैं इसकी 101 फूट की ऊंचाई पर शिखर प्रसिद्ध तीर्थ पावागढ़ के दर्शन करता है. प्रबल जन आस्था के केंद्र अंधेरी माता मंदिर के बारे कई धारणाएं और किवदंतियां प्रचलित है.
अर्धनारीश्वर (अंधेरी माता) परिसर का विहंगम दृश्य
ग्रामीणो के अनुसार यह वही प्राचीन विराट नगर है, जो पांडवो ने अज्ञातवास गुज़ारा था और युधिष्ठिर ने अर्धनारीश्वर की स्थापना की थी. गांव में आज भी बड़े आकार की ईंटे और नंदी, देवी प्रतिमाएँ आदि मिलना दर्शाता है कि यहाँ कभी कोई प्राचीन नगर रहा होगा. यहाँ पर प्राप्त घिसा बावसी की पांच बड़ी शिलाएँ भी इसकी तस्दीक करते प्रतीत होते हैं.  यहाँ खुदाई से प्राप्त शिवलिंग को एक पहाड़ी पर स्थापित करके मंदिर बनाया गया है.
अर्धनारीश्वर (अंधेरी माता) परिसर का विहंगम दृश्य
वागड़ के पुरातात्विक इतिहास के जानकार और उदयपुर के सिटी पैलेस म्यूजियम के क्यूरेटर श्री खलील तनवीर कहते हैं कि विराट गाँव में पुरातात्विक महत्व की कई दुर्लभ सम्पदाएँ है, जिन्हें सही ढंग से व्यवस्थित करने की जरूरत है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश स्व. नागेंद्र सिंहजी का आग्रह था कि इस मुर्ति को डुंगरपुर म्युजियम में रखा जाए. जिसको लेने स्वयँ तनवीर विराट गए थे, लेकिन ग्रामीणो के मना करने से वह नहीं ला पाए. ग्रामीणो की मांग है कि डेचा- विराट से गोवाडी तक फैली पट्टी में उपेक्षित पड़ी पुरा-सम्पदा को सुरक्षित वा सँरक्षित करने के लिए विराट में ही एक संग्रहालय बनाया जाए.
अर्धनारीश्वर (अंधेरी माता) परिसर का विहंगम दृश्य
विराट जाने के लिए ओबरी-आंतरी मार्ग से तो जा ही सकते हैं. एक रास्ता डूंगरपुर-सागवाडा मार्ग से आंतरी से होते हुए है तो दूसरा रास्ता इसी मार्ग पर मोहनी घाटी के पास से वाया बरबोदनिया भी है.

मंदिर में सालभर विविध आयोजन होते रहते हैं. खासकर नवरात्रि में अनुष्ठान और शरद पूर्णिमा पर मेला भरता है और डांडिया-रास आयोजित होता है.

~ जितेंद्र दवे, ओबरी

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