पावन सलिला माही और जनजाति गौरव के महातीर्थ

सूर्यपुत्री माही की महिमा और जनजाति समाज क्यो माही को बहन मानता है, इस पर विशेष आलेख.

माही नदी पर बना डुंगरपुर-बांसवाड़ा सेतु फोटो: विशाल मेहता 

           जिला धार, म.प्र. की तहसील सरदारपुर (जिला धार, म.प्र.) के मिण्डा ग्राम से माही नदी का उद्गम होता है। माही नदी म. प्र., राजस्थान और गुजरात की वसुधा को अभिषिक्त करने वाली एकमात्र ऐसी नदी जो कर्करेखा को दो बार लाँघती है या कह सकते हैं कि वह उत्तर दिशा गमन इसीलिए करती है कि कर्क रेखा को अपने सर्पिल पाश में लेकर उसके साथ अटखेली कर सके। पुनः वह पश्चिम में सिंधु-समुद्र में विराम पाती है।

           पौराणिक कथाओं में सूर्य की पत्नी संज्ञा से ताप्ती का जन्म और छाया से यमुना का जन्म माना जाता है। लेकिन सूर्य की एक पुत्री और है जिसे पौराणिक आधार पर उल्लेखित किया गया या नहीं पर लोकमानस उसे यह पद प्रदान करता है। तीसरी सूर्य पुत्री का नाम है माही! अपने उद्गम मिण्डा से वह सूर्य पुत्री के रूप में पूजित और प्रवाह पथ में स्थान स्थान पर बने मंदिरों में इसी परिचय के साथ विराजमान हैं।

          माही का जन्म माघ शुक्ल द्वितीया के दिन मनाया जाता है यानी नर्मदा जी के जन्म से ठीक पांच दिन पूर्व। एक सूर्यपुत्री तो दूसरी शिवपुत्री! माही नदी के जन्म माह को गुजराती भाषी लोग महा मास कहते हैं, महा मास की द्वितीया को माही का जन्म। क्या नामकरण में कोई संकेत छुपे हैं? मन करता है कि लोकमन को पूछूँ कि 580 किमी लम्बाई में बहने वाली नदी को और उसके जन्मोत्सव को माही-बीज के रूप में उजवने वाले लोग किस शास्त्र को पढ़कर ऐसा अलिखित कैलेंडर सदियों से चला लेते हैं कि प्रतिवर्ष जन्मोत्सव धूमधाम से मना डालते हैं। मंदिरों में पूजन होता है, खगोलीय प्रभाव को साधने के लिए एक नदी को नवग्रह मंदिर में सूर्य की गोद में स्थित अंकन किया जाता है। शनिचरी अमावस्या के दिन माही का नहान करने के लिए हमारे गांव से कितने ही लोग सरदारपुर जाकर दर्शन, पूजन और ग्रहशांति के कर्म करते हैं।

गलियाकोट में माही नदी पर बना डुंगरपुर-बांसवाड़ा सेतु फोटो: विशाल मेहता 

                बहुत से सुपढ़ लोग पूछेंगे कि बताओ किस पुराण में लिखा है कि माही सूर्यपुत्री है? मैं कहूँगा कि सूर्य परिवार में दो पत्नियों से दस संतति में सुग्रीव और कर्ण भी नहीं है! लेकिन लोकमन कहता है कि माही सूर्यपुत्री है! मैं कौन होता हूँ लोकमन भ्रंशक!    

गुजरात, वागड़ और निमाड़ में 'दो' की संख्या को 'बे' बोला जाता है इसीलिए 'दूज' को 'बीज' कहा जाता है। माही बीज का उत्सव सम्पूर्ण नदी पथ में उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह नदी अपने पूरे पथ में भील, बंजारा और पारदी जनजातियों को अपने भ्राता के रूप में गिनती है!

        माही नदी का विवाह समुद्र से हुआ तो समुद्र बारात लेकर 45 मील भीतर तक चला आया, इतने भीतर आकर संगम लेने वाली यह एकमात्र नदी भी है। जो आणंद तहसील (गुजरात) के वहेराखाड़ी में स्थित है। लोकमान्यता है कि जब समुद्र माही के विवाह की भाँवर में चौथा फेरा चल रहा था तब रबारी जनजाति के लोगों ने कन्यादान किया था। इसलिए माही को बहन जैसा मानते हुए अपनी बहिनी के जन्मदिन पर प्रतिवर्ष वहेराखाड़ी और अन्य स्थानों पर अपनी गायों के दूध को न बेचते हुए उस दिन दुग्धाभिषेक करते हैं! अब एक पंथ विशेष के लोग पहले ही शिवजी पर दूध चढ़ाने को लेकर कुढ़ते रहे हैं, यह सुनेंगे तो दोगुना (गुजराती में कहूँ तो बेगुना) सिर धुनेंगे! पर धुनें तो धुनें! उनके भाग में ही सिर धुनना लिक्खा हो तो मैं क्या कर सकता हूँ?

माही नदी के मध्य संगमेश्वर शिवालय ।  फोटो: विशाल मेहता 

       मैं इस नदी को लेकर आज इतना भावुक क्यों हुआ? कारण इस पैरा में है! आज 9 अगस्त है विश्व आदिवासी दिवस। इस नदी की कोख में भारतीय स्वतंत्रता के दो क्रांतितीर्थ हैं। जो भोले भाले जनजातीय लोगों ने लड़े हैं। पहला तीर्थ है खानपुर जहाँ कानपुर से बड़ा 1857 का एक पेड़ पर 350 क्रांतिकारियों को फांसी देने का भीषण कृत्य अंग्रेजों ने किया था, दूसरा है कडाणा बाँध की तराई में आया मानगढ़ हिल नामक तीर्थ, जहाँ 1507 जनजातीय वीरों को गोलियों का भोग बनना पड़ा। इन दोनों क्रांतितीर्थों पर माही की कोख में  आज मेला जुटने वाला है।

मानगढ़ धाम, जहाँ जनजाति समाज ने गोविंद गुरु की अगुवाई में स्वतंत्रता का शंखनाद किया था और हजारों लोग बलिदान हुए 

       क्या कानपुर के बूढ़ा बरगद पर 135 वीरों को फांसी से अधिक 350 वीरों को फांसी और जलियांवाला बाग हत्याकांड के आगे पांच गुना अधिक लोगों को भून दिए जाने के कुकृत्य की आपको जानकारी है?

~गजेन्द्र कुमार पाटीदार, निमाड़ (वरिष्ठ साहित्यकार) 

5 टिप्‍पणियां

बेनामी ने कहा…

अद्भुत सटीक जानकारी, लेखक महोदय को साष्टांग नमन चरण वंदन

बेनामी ने कहा…

अद्भुत जानकारी लेखक महोदय द्वारा

बेनामी ने कहा…

🙏🙏

बेनामी ने कहा…

🙏🙏

Sukhram Solanki ने कहा…

🙏🙏👌👌