अपनी मातृभाषा वागड़ी में स्तरीय साहित्य पढ़ पाएंगे वागड़ के बच्चे, साहित्यकार दिनेश पंचाल के सम्पादन में तैयार हुई 44 पुस्तकें

वागड़ के नौनिहालों, शिक्षकों और साहित्य जगत के लिए ख़ुशख़बरी है कि दिनेश पंचाल के भाषायी संपादन में वागडी भाषा की 44 बाल पुस्तिकाएं देश के जाने-माने प्रकाशक प्रथम बुक्स ने प्रकाशित की हैं।  दिनेश जी पंचाल विकास नगर, डूंगरपुर के हैं और पेशे से शिक्षक हैं.


इन 44 पुस्तकों का प्रकाशन यूनिसेफ के माध्यम से कराया गया है। बालकों के लिए भारत की सर्वश्रेष्ठ बाल पुस्तकों का वागड़ी अनुवाद वागड़ अंचल के ही मां-बाडी केन्द्र के अध्यापकों मांगीलाल पारगी, नितेश ननोमा, मोहन लाल हडात, सुरेन्द्र वायती और अरविंद वैष्णव द्वारा किया गया है। यह अब तक वागड़ी का एकमुश्त पुस्तकों का पहला प्रकाशन है। इन पुस्तकों को मातृभाषा की पाठ्यपुस्तकों के रूप में 1 से 4 कक्षाओं में पढाया जाएगा। इनके साथ ही इन पर आधारित कार्यपुस्तिका एवं उत्तरमाला भी उपलब्ध करायी जायेंगी।

उक्त सभी पुस्तकें विनीता कृष्णा,लावण्या कार्तिक, हरि कुमार नायर, शबनम मीनवाला, रूपा पाई,शीना देवाय, सेजल मेहता, वर्षा जोशी,अनूपा लाल, मिनी श्रीनिवासन, शिखा त्रिपाठी, माला कुमार, मनीषा चौधरी, शेरिल राव, भावना मेनन और मेनका रमन जैसे बाल मनोविज्ञान के नामी लेखकों द्वारा किया है। बाल सुलभ मनोहारी चित्रण कबिनी अमीन, मयूर मिस्त्री, राजीव आईप, तन्वी नाबर, रोहन चक्रवर्ती, सुविधा मिस्त्री, श्वेता महोपात्रा, ओइन्द्री चक्रवर्ती जैसे चित्रकारों द्वारा किया है।

अनुवाद के पश्चात दिनेश पंचाल पिछले दस माह से संपादन के कार्य में लगे हुए थे। ऐसे समय में जब बोलियाँ और क्षेत्रीय भाषाएं विलुप्ति के कगार पर हैं और नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा शिक्षण पर बल दिया जा रहा है यह कार्य बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।


गौरतलब है कि वागड़ में इस तरह पहली बार एक साथ इतनी सारी पुस्तके प्रकाशन में आई हैं!  युनिसेफ जैसे दुनिया के नामी संस्थान द्वारा आयोजित इस प्रॉजेक्ट से न केवल वागड़ के शिक्षा-साहित्य जगत को लाभ होगा
, बल्कि वागड़ी भाषा को समृद्ध बनाने में भी यह मील का पत्थर साबित होगा.

वागड़ के विभिन्न स्कूलों में सेवारत शिक्षकगण इन पुस्तकों का बहुत लाभ उठा सकते हैं. वहीं अभिभावकों के लिए भी यह बहुत मज़ेदार और उपयोगी साबित होंगी.

ख़ुशी की बात ये है कि, इन सभी ज्ञानवर्धक और उपयोगी पुस्तकों को www.storyweaver.org.in पर नि:शुल्क ऑनलाइन भी पढ़ा जा सकता है

~ ऋचा भावेश भट्ट, घोटाद (सागवाड़ा)  | मुम्बई 

6 टिप्‍पणियां

Unknown ने कहा…

वागडी बोली में अनुदित समृद्ध साहित्य से नई पीढ़ी रूबरू होगी और हम सभी का भी ज्ञान वर्धन होगा, नई पीढ़ी का अपनी बोली के प्रति अनुराग बढ़ेगा, उत्कृष्ट पहल है, सर आपका अपनी बोली के प्रति जो प्रेम हैं अनुपम है 👋👋👋🌹🙏

दिशी भावसार ने कहा…

हम इन पुस्तकों को कैसे प्राप्त कर सकते है ?

Viral Vagar ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Viral Vagar ने कहा…

कमेंट्स के लिए धन्यवाद. इससे हमारा उत्साहवर्धन होगा. ब्लॉग व साइट पर अन्य पठनीय आलेखो पर भी गौर फरमाएँ. आप इन किताबो को निशुल्क ऑनलाइन www.storyweaver.org.in पर पढ सकते हैं. धन्यवाद.
सम्पादक, वायरल वागड़

Unknown ने कहा…

www.storyweaver.org.in par free padhen. Pratham books search karen vaha se kharid sakte hain

विजय गोस्वामी 'काव्यदीप' ने कहा…

वागड़ी मंय एक साथे 44 बाल चौपडियं नू संपादन ..वागड़ी शिक्षा बल्ले घणू महताऊ अने ऐतिहासिक काम कैवाय।नवी शिक्षा नीति मय मातृ भाषा मय भणाब्बा नी वात है..म्हूँ जाणतो हतो के आवे वागड़ी मंय पण चौपडियं स्कूलं मंय चालेंगा पण आटली झट दई ने वागड़ी चौपडिये आवी जैंगा आवी तो कल्पना हुदी न्हें करी हती।

मूटं-मूटं नामी बाल साहित्यकारं नी चौपडियं नो वागड़ी उलथो देखी ने वागड़ ना रचनाकारं ने भी बाल साहित सिरजण नी प्रेरणा मलेगा।
आणा काम मंय खास भूमिका नबाब्बा वारा आदरजोग दिनेश जी ने साथे-साथे उलथो करवा वारा हंगरं रचनाकारं ने भी खूब-खूब वदमणी।
आवे लागे वागड़ी ना असल दाड़ा आवी रिया हैं।

सब ने खूब-खूब वदमणी।
🙏🙏
विजय गिरि गोस्वामी