वागड़ के किसानो को मालामाल कर सकता है मालाबार नीम
वागड़ की वानस्पतिक विविधता और जलवायु हमारे किसान भाइयो के लिए काफ़ी वरदान साबित हो सकती है.
वृक्षारोपण प्रबंधन:
कई तरह की फसलो व पेड़ो के लिहाज़ से हमारी वागड़ धरा बहुत ही अनुकूल है. बस ज़रूरत है तो थोड़ी-सी जागरुकता और परिश्रम की. जिस में तो हम कभी पीछे नहीं रहते हैं. आइए, आपको बताते हैं एक ऐसे पेड़ के बारे में जो कमर्शियल रूप से काफी फायदेमंद हो सकता है. इसका नाम है- मालाबार नीम !
मालाबार नीम । फोटो सौजन्य: किसान हेल्पलाइन |
मालाबार नीम दर असल मेलिऐसी कुल का है। जलाऊ लकड़ी के एक स्रोत के रूप में इसकी खेती की जाती है. अच्छी बात ये है कि, मालाबार नीम के पेड़ की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, जी हाँ, वागड़ धरा में भी !! साथ ही इस में पानी की ज़रूरत भी कम होती है। मालाबार नीम रोपण से 3-5 साल के भीतर 40 फुट तक उचाई ले लेता है. मालाबार नीम नकदी नीम परिवार से संबंधित है। इस पेड़ अपनी तेजी से विकास के लिए जाना जाता है। हाल के दिनों में कर्नाटक के आसपास के किसान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में इस वृक्ष की बढ़ी मात्रा में फार्मिंग कर रहे है और इसका प्रयोग सस्ती वुड (Plywood इंडस्ट्री) के रूप में कर रहे है। यदि पेड़ो को सिंचित किया जाये तो 5 वर्ष के अंत में काटा जा सकता है और प्लाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
वृक्षारोपण प्रबंधन:
5x5 मीटर का की दुरी को अच्छा माना गया है जबकि 8x8 मीटर का अंतर आदर्श है। उर्वरकों की मदद से पौधे की वृद्धि और विकास को
बढ़ाया जा सकता है। वृक्षों के तेज विकास के लिए नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती
है। शुरुआती विकास के लिए तीन महीने तक के लिए लगातार पानी देना और तीन महीने में
एक बार उर्वरक का इस्तेमाल करने से काफी तेज़ी से विकास होता है. बारिश की स्थिति के तहत, पौधे के विकास की गति धीमी
हो जाती है (लगभग 100% कम) जमीन से 8-10 मीटर पर पेड़ की शाखाएं हर छह महीने में प्रूनिंग करने से ब्रांचिंग
नियंत्रित होती है।
मालाबार नीम की खेती के लिए मिट्टी की आवश्यकता:
यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी पर उगती है। कभी-कभी गहरी उपजाऊ
रेतीली दोमट मिट्टी बढ़िया विकास दिखाती है, जबकि उथली बजरी मिट्टी
तुरंत विकास को दर्शाती है।
मालाबार नीम की खेती में सिंचाई:
पेड़ गैर-बरसात के मौसम में हर 10 - 15 दिनों में एक बार सिंचाई के लिए अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करता है।
उपयोग:
यह एक अच्छी लकड़ी है और प्लाईवुड उद्योग के लिए सबसे पसंदीदा
प्रजाति है। लकड़ी का उपयोग पैकिंग के लिए, छत के तख्तों, भवन निर्माण के उद्देश्यों, कृषि उपकरणों, पेंसिलों, माचिस की डिब्बी, मोचियों,
संगीत वाद्ययंत्रों और चाय
के बक्सों के लिए भी किया जाता है क्योंकि लकड़ी खुद ही दीमक रोधी होती है। इसका
उपयोग मुख्यता इमारती लकड़ी में किया जाता है साथ ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है
कि यह बीच मे से कटिंग होने के बाद भी नई शाखायें वही से आती है इस प्रकार, विविध उपयोगिता
के कारण इस प्रजाति का एक तैयार और सुनिश्चित बाजार है। यह प्रजाति भी अत्यधिक
अनुकूलनीय है। प्लाईवुड उद्योगों द्वारा प्रजाति की अत्यधिक मांग है।
मालाबार नीम । फोटो सौजन्य: किसान हेल्पलाइन |
इसके अलावा आप इसे कृषि विभाग की कृषि वानिकी योजन्तर्गत भी इसको
लगाकर लाभ उठा सकते है एवम सागवान की अपेक्षा एक बार इसको खेत के चारों ओर मेड पर
भी लगाए। नीलगिरी जैसे पेडो की बजाय ये ज़्यादा लाभदायी हैं. और अपनी सामान्य खेती के समानांतर
इसकी खेती भी कर सकते हैं. इस बाबत अधिक जानकारी हेतु मुझसे आप मुझ से व्यक्तिगत
संपर्क कर सकते हैं । इसके अलावा, उद्यानिकी सम्बंधी अन्य जानकारी के लिए भी आप मुझ से सम्पर्क कर सकते हैं.
- हर्षद पंडया, कृषि उद्यान विभाग, डूंगरपुर । फोन: 6376127980
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