वागड़ में गौ आधारित खेती की अलख जगा रहे हैं हुकुमचंद पाटीदार


इसे हमारे व्हाले वागड़ के प्रति प्रेम ही कहा जाएगा, कि कई गैर-वागड़िए भी वागड़ की बेहतरी में अपना योगदान दे रहे हैं.

गौ आधारित और जैविक खेती के विशेषज्ञ हुकुमचंद पाटिदार
इसी सिलसिले में एक नाम आता है श्री हुकुमचंद पाटीदार का. पाटीदार भले ही वागड़ से नहीं,  बल्कि झालावाड़ के मानपुरा से हैं, लेकिन वागड़ की एक अहम गोसेवी संस्था श्री राधाकृष्ण गौशाला, वमासा और भारतीय किसान संघ के साथ मिलकर वागड़ में गौ आधारित और जैविक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रहे हैं और वागड़ के किसानो के प्रति अपार स्नेह रखते हैं. वह जैविक उत्पादन, गो पालन, गौ आधारित खेती से फसल उत्पादन में वृद्धि, और पंचगव्य के घरेलू तरीको पर बेहद महारत रखते हैं. वह देसी खाद और गोबर आधारित खेती के फायदो के बारे में हमारे किसान भाइयो को जगाते हैं.  
पाटीदार देश के उन गिने-चुने किसानो में से हैं जो गौआधारित कृषि कर रहें हैं. लेकिन उनके नाम और भी कई उपलब्धियाँ हैं, जिन्हे जानकर आप दंग रह जाएंगे.
पाटीदार का उगाया अनाज अमेरिका सहित 7 देशो में जाता हैं. वह अपनी 35 देसी गायो से 100 बीघा खेतो में शुद्ध धान्य का सोना उगा रहें हैं. 28 देशो के प्रतिनिधि पाटीदार के वहां आकर गौआधारित कृषि पर जानकारी प्राप्त कर चुके हैं !! 

आपको ये जानकार हैरानी होगी कि, हर साल 15000 किसान उनके गाँव जाकर गौआधारित कृषि पर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. यही नहीं, आमिर खान ने उन्हें अपने प्रोग्राम सत्यमेव जयते में भी आमंत्रित किया था.
गौ आधारित कृषि के ऐसे धुरंधर का वागड़ से जुड़ना वाकई में हमारे लिए गर्व और सौभाग्य की बात है. 22 जुलाई 2018 को पाटीदार ने श्री राधाकृष्ण गौशाला वमासा में किसानो के अभ्यास वर्ग में गौआधारित कृषि का प्रशिक्षण प्रदान किया. जिस में पूरे वागड़ से करीब 500 से ज़्यादा किसान भाइयो ने जानकारी पाई. गौशाला के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह पंवार का कहना है कि पाटीदार से मिलकर गौशाला आगे भी ऐसे आयोजन करेगी.

ये बात जग जाहिर है कि पेस्टीसाइड्स, केमिकल्स और केमिकल आधारित खाद से उगाई फसलें जहाँ हमारे खेतो को बंज़र बना रही हैं वहीं उनसे बना भोजन हमारी थाली में ज़हर घोल रहा है. जिससे उम्र से पहले ही हम कई घातक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में गौआधारित और जैविक खेती ही दुनियाभर में एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रही है.
इसीलिए वागड़ धरा में पाटीदार और राधाकृष्ण गौशाला की ये पहल काबिले-तारीफ़ है.

~ जितेंद्र जवाहर दवे
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