लंदन की टेम्स नदी से कमतर नहीं है बांसवाड़ा की कागदी नदी

विश्व पर्यटन दिवस (27 सितंबर) पर विशेष फोटो फीचर
देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए बेमिसाल तोहफा है बेनज़ीर बांसवाड़ा

बांसवाड़ा, 26 सितंबर/ लगभग 487 वर्ष पूर्व सन् 1930 में महारावल उदयसिंह प्रथम के छोटे पुत्र जगमालसिंह द्वारा स्थापित बांसवाड़ा शहर पर प्रकृति की बड़ी मेहरबानी रही है और यहीं कारण है कि यह शहर प्रकृति की अप्रतिम अनमोल दौलत से लकदक है। इस शहर में सबकुछ है। 
नदीनालेपहाड़तालाबझीलराजमहलक्लॉकटॉवर और भी बहुत कुछ । सघन हरितिमा से आच्छादित अरावली की अंतिम छोर की पहाड़ियों की गोद में बसा बांसवाड़ा शहर मानसून की बारिश के बाद अप्रतिम सौंदर्य से युक्त हो जाता है। शहर की हृदय स्थली पर बहने वाली कागदी नदी ब्रिटेन का इतिहास रचने में अहम् किरदार निभाने वाली टेम्स नदी की तरह ही सुंदर है। 
 मानसून में जब कागदी पिक-अप-वियर से इसमें पानी छोड़ा जाता है तो यह नदी अपने प्रवाह के अनुकूल टेड़े मेड़े रास्तों से हो शहर में बलखाती हुए सर्पिलाकार धारण कर पूरे शहर को दो भागों में बांटती है। शहर से थोड़ी दूर ही मखमली हरी चादर ओड़ी हुई पहाड़ियों के साथ कागदी नदी में वागड़ गंगा माही का पानी लहराता हुआ बहता है तो लंदन की टेम्स नदी की भांति शहर का सौंदर्य खुद-ब-खुद दुगुना सा हो जाता है। 
अपनी इसी बेनज़ीर छवि से पर्यटकों को आकर्षित करते शहर का यह मनमोहक नज़ारा विश्व पर्यटन दिवस की पूर्व संध्या पर सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कमलेश शर्मा द्वारा क्लिक किया गया है। 

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