आटे से इको-फ्रेंडली गणेश को रूपाकार देता नन्हा अभिरुप
8वी का छात्र और 13 साल का अभिरूप भावसार डूंगरपुर के कला जगत का एक ऐसा नाम है, जो तरह तरह के अनूठे कला प्रयोगों में अभिव्यक्त होता है।
चाहे ओरिगेमी के बहाने पेपर से कलाकृतियां बनानी हो या पेंटिंग या क्राफ्टिंग, अभिरूप की कलाकारी बड़े बड़ो को चौंका देती है!
कलाकार -पेंटर दम्पत्ति रूपेश और अभिलाषा भावसार की इस प्रतिभाशाली संतान अभिरूप को कलाकारी और सूझ बूझ विरासत और डीएनए में मिली है।
हाल ही में अभिरूप ने आटे, मैदे, हल्दी, नमक, ऑर्गेनिक फ़ूड कलर आदि से इको फ्रेंडली गणेशजी बनाकर भक्ति और प्रकृति के संतुलन का संदेश दिया है। उनके इस अनोखे प्रयास को शहर के पर्यावरण और स्वच्छता प्रेमियों ने बहुत सराहा है।
अभिरूप के गणेशजी विसर्जित होने पर जलचरों व जीवो का आहार बन जाते हैं वहीं जलाशयों को कोई भी हानि नहीं पहुंचाते हैं। उनका ये खूबसूरत हुनर हमें खशियाँ ही नहीं, सीख भी देता है।
अभिरूप के गणेशजी विसर्जित होने पर जलचरों व जीवो का आहार बन जाते हैं वहीं जलाशयों को कोई भी हानि नहीं पहुंचाते हैं। उनका ये खूबसूरत हुनर हमें खशियाँ ही नहीं, सीख भी देता है।
आलेख: जितेंद्र जवाहर दवे
चाहे ओरिगेमी के बहाने पेपर से कलाकृतियां बनानी हो या पेंटिंग या क्राफ्टिंग, अभिरूप की कलाकारी बड़े बड़ो को चौंका देती है!
कलाकार -पेंटर दम्पत्ति रूपेश और अभिलाषा भावसार की इस प्रतिभाशाली संतान अभिरूप को कलाकारी और सूझ बूझ विरासत और डीएनए में मिली है।
हाल ही में अभिरूप ने आटे, मैदे, हल्दी, नमक, ऑर्गेनिक फ़ूड कलर आदि से इको फ्रेंडली गणेशजी बनाकर भक्ति और प्रकृति के संतुलन का संदेश दिया है। उनके इस अनोखे प्रयास को शहर के पर्यावरण और स्वच्छता प्रेमियों ने बहुत सराहा है।
अभिरूप के गणेशजी विसर्जित होने पर जलचरों व जीवो का आहार बन जाते हैं वहीं जलाशयों को कोई भी हानि नहीं पहुंचाते हैं। उनका ये खूबसूरत हुनर हमें खशियाँ ही नहीं, सीख भी देता है।
अभिरूप के गणेशजी विसर्जित होने पर जलचरों व जीवो का आहार बन जाते हैं वहीं जलाशयों को कोई भी हानि नहीं पहुंचाते हैं। उनका ये खूबसूरत हुनर हमें खशियाँ ही नहीं, सीख भी देता है।
आलेख: जितेंद्र जवाहर दवे
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