वागड़ और मेवाड़ जैसी ही विविधरंगी हैं यहाँ की तितलियाँ

तितलियाँ यानी प्रकृति का शृँगार !! मौसम के अनुसार हमारे आस-पास कई पेड़ पौधों पर रंग-बिरंगे फूल व कीटों का संसार हमें दिखाई देता है। इन दिनों समूचा मेवाड़-वागड़ की पर्यावरण जगत सहजना, पलाश, शीशम, सेमल आदि फूलों से सुशोभित है। इन फूलों पर कई तरह के जीवों-पक्षियों के साथ-साथ तितलियों को मंडराते हुए देखा जा सकता है।
राजस्थान की तितलियों पर शोध कर रहे डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा निवासी मुकेश पंवार बताते है कि 14 मार्च का दिन समूचे विश्व में बटरफ्लाई डेके रूप में मनाया जाता है। वे बताते हैं कि बटरफ्लाइज (तितलियां) शीत रक्त प्राणी होने से ग्रीष्म आगमन के इस ऋतु संबंधी काल से सुप्तावस्था से बाहर आकर सक्रिय होने लगती है।
तितली का जीवनचक्र 4 अवस्थाओं का होता है। 1. अण्डा 2. लार्वा (ईल्ली), 3. प्यूपा 4. व्यवस्थ तितली। सभी तितलियों के लार्वा के भोज्य पौधे तथा वयस्क तितलियों के रस पीने के पौधे उनकी प्रजाति के अनुसार भिन्न-भिन्न है। प्रकृति में प्रत्येक वनस्पति व जीव की अपनी विशिष्ट भूमिका होती है। इन दिनों शीशम के फूलों पर जेब्रा ब्लू, कॉमन जे, टेल्ड जे, कॉमन रोज आदि तितलियों को फूलों का रस पीते देखा जा सकता है।

वागड़ और मेवाड़ में 105 से अधिक प्रजातियाँ
पंवार बताते है राजस्थान में अनुमानित 150 के आसपास प्रजातियों की तितलियां पाई जाती है उसमें से मेवाड़-वागड़ में 105 प्रजातियों की तितलियां पाई जाती है। पंवार बताते हैं कि कॉमन रोज, कॉमन जय, टेल्ड जय, लाईम, प्लेन टाईगर, ब्लू टाईगर, कॉमन टाईगर, ब्लू पेंसी, लेमन पेन्सी, यलो पेन्सी, टाउनी कॉस्टर, मोटल्ड एमीग्रांट, कॉमन एमीग्रांट, स्माल ओरेंज टीप, व्हाईट ओरेंज टीप, यलो ओरेंज टीप, स्माल ग्रास यलो, कॉमन ग्रास यलो, बरोनेट, इंडियन स्कीपर, इंडियन पाम बोब, फोरगेट मी नोट, ग्राम ब्लू, अफ्रीकन बबूल ब्लू, स्मोटेड स्माल फ्लेट, वेस्टर्न स्ट्रीप्ड अल्बाट्रोस, स्माल कुपीड, डार्क ग्रास ब्लू, टीनी ग्रास ब्लू, इंडियन रेड फ्लेश, राउडेड पीएरोट, कॉमन गल, पीओनिर, ग्रेट एग फ्लाई तथा डनाईड एग फ्लाई आदि प्रजातियों की तितलियों को यहां आसानी से देखा जा सकता है।


सेहतमंद पर्यावरण की प्रतीक है तितलियां:
पंवार बताते हैं कि तितलियों का मानव जीवन में बड़ा महत्त्व है। ये तितलियां प्राकृतिक पर्यावरण के उत्तम स्वास्थ्य का प्रतीक है। ये परागण करती है जिससे पौधों को फूल से बीज बनाकर वंशवृद्धि में सहयोग मिलता है। तितलियां एवं शलभ स्थानीय खाद्य श्रृंखला की अहम कड़ी है। इनका भक्षण करके कई तरह के पक्षी, मेंटिस, छिपकलियां, मकडियां, वास्प, ड्रेगनफ्लाई आदि अपना जीवन निर्वाह करते है।

तितलियों की प्रजातियों के नाम है। साथ में तितलियों के विशेषज्ञ मुकेश पंवार।
आलेख एवँ फोटो:  कमलेश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक, सूचना एवँ जनसम्पर्क, उदयपुर  

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