डूंगरपुर में ‘हेरिटेज वॉक-वे’ की अनूठी पहल


देशभर में यह एक अनूठा अनुभव होगा जहाँ करीब तीन किमी के दायरे में हर कदम पर मिलेगी सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत!

डूंगरपुर-आदिम संस्कृति और शिल्प वैशिष्ट्य की धरा डूंगरपुर के शिल्प स्थापत्य और संस्कृति को जन-जन तक रूबरू करवाने के उद्देश्य से नगरपरिषद् द्वारा घोषित किया गया ‘हेरिटेज वॉक-वे’ देशभर में अपनी तरह का अनूठा ‘हेरिटेज वॉक-वे’ होगा जहां पर पर्यटकों को मात्र तीन किलोमीटर की दूरी में कदम-कदम पर सदियों पुराने सांस्कृतिक वैभव का साक्षात्कार हो सकेगा।

जिला कलक्टर सुरेन्द्र कुमार सोलंकी ने बताया कि केन्द्र व राज्य पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और पुरातत्व विशेषज्ञों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के बाद जिला प्रशासन द्वारा आरंभिक तौर पर पचास से अधिक महत्वपूर्ण स्थलों का चयन किया गया है वहीं लगभग एक सौ ऐसे निजी स्थल भी है जो अपने सांस्कृतिक वैभव के लिए पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र बनेंगे। उन्होंने बताया कि अपने शिल्प-सौंदर्य को उद्घाटित करने वाले ऐसे समस्त स्थानों को विकसित करने के लिए नगरपरिषद के सहयोग से प्रयास किए जाएंगे।

इन स्थलों का रहेंगा विशेष आकर्षण:
कलक्टर सोलंकी ने बताया कि ‘हेरिटेज वॉक-वे’ की शुरूआत शहर में लगभग 225 वर्ष पुराने प्रवेश द्वार कुरियाला दरवाजे से होगी। इसके साथ ही लगा हुआ इस्ट इण्डिया कम्पनी के प्रतिनिधि श्री डायसन का स्मारक तथा महारावल फतहसिंह द्वारा उत्तर दिशा से होने वाले आक्रमणों से रक्षार्थ निर्मित गढ़ी के रुप में फतेहगढ़ी हेरिटेज वॉक-वे का आरंभिक आकर्षण रहेगी। इसके बाद गेपसागर की पाल पर स्थित लगभग 400 वर्ष से अधिक पुराना गोवर्धननाथ एवं राधिका की भारत में सबसे बड़ी आदमकद प्रतिमाओं वाला श्रीनाथजी मंदिर तथा गेपसागर की पाल पर ही पुरा महत्व की शिवशाही छतरियां एवं चौबीसों की छतरियां, भट्ट मेवाड़ा समाज के नोहरे में स्थित पाषाण निर्मित दरवाजे, गैलरी व झरोखे, राधे बिहारी मंदिर और यहां का सभामंडप, राजगुरु रहे हल्देवगिरीजी की समाधि, भागा महल, राजगुरु मठ, मुरलीधर मंदिर समूह व हनुमानजी मंदिर के ढाले पर स्थित डूंगरपुर पर आक्रमण की जानकारी देने वाला जमींदोज शिलालेख पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

इसके बाद महारावल उच्च माध्यमिक विद्यालय के उद्यान में स्थित राणी बाव व उदयबाव, एक सौ से अधिक वर्ष पुराना सार्वजनिक पुस्तकालय व महारावल उच्च माध्यमिक विद्यालय के साथ ही मंगलेश्वर महादेव, हाटकेश्वर मंदिर समूह में स्थित वागड़ की मीरा गवरी बाई का 450 वर्ष पुराना मंदिर गवरी बाई की कृष्णभक्ति का प्रतीक बना हुआ है। इसके बाद खांडवाला(बोहरा) परिवार की पाषण निर्मित हवेली व इसके आकर्षक गोखड़े-स्तम्भ, पुराना चिकित्सालय की हेरिटेज बिल्डिंग व पत्थर का रेंप, चिकित्सालय से सटा पुरा महत्व का प्राचीन दरवाजा, रामस्नेही सम्प्रदाय मेडता का राम़द्वारा, कंसारा चौक स्थित कुरीचंद जी कोटडिया का मकान, कोटडि़या जी, हीरालाल दोसी, अजीतमल जी जैन, रणाजी के मकान में स्थित प्राचीन दरवाजे व झरोखे शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं।

इसके बाद आदिनाथ कोटडि़या जैन समाज का मंदिर, गुमटा बाजार की गुमटिया, पुलिस चौकी भवन, बंद गली में शाहजी कामदार की हवेली, घाटी मोहल्ला की रामबाव व उदयबाव, घाटी दरवाजा, फौज का बड़ला स्थित गांधीजी की हवेली, पटवाजी की हवेली उंडा मंदिर के सामने भरत मेहता का मकान, वखारिया चौक स्थित वखारिया जी की हवेली, कान्हड़ पोल, पातेला स्थित पाता पोल, घाटी स्थित हड़मत पोल, भीष्म स्वामी जी मंदिर, रामपोल, चांदपोल, पुरानी जेल, सुथारवाड़ा की हथाई हवेली व साढ़े सात सौ वर्ष पुराना जूना महल हेरिटेज वॉक-वे के प्रमुख आकर्षण रहेंगे। वॉक-वे पुनः पुराना हास्पीटल होते हुए उदयविलास पैलेस की ओर संपन्न होता है जहां पर डूंगरपुर की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत से पर्यटक रूबरू हो सकते हैं।

‘हेरिटेज सिटी’ बनेगा डूंगरपुर
नगरपरिषद सभापति के.के.गुप्ता ने बताया कि लगभग साढ़े सात सौ वर्ष पुरानी समृद्ध विरासत को सहेजने वाले डूंगरपुर शहर में हेरिटेज को मूल स्वरूप में लाने तथा इससे पर्यटन विकास की राज्य सरकार की मंशाओं को सार्थक करने के लिए परिषद द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शहर को पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के लिए ही हेरिटेज शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है और इसमें स्थानीय जन-सामान्य का सहयोग बेहद जरूरी है। उन्होंने शहरवासियों से आह्वान किया है कि डूंगरपुर को हेरिटेज सिटी के रूप में विकसित करने में सकारात्मक सहयोग प्रदान करें। 

~ कमलेश शर्मा, उपनिदेशक, DIPR

2 टिप्‍पणियां

Kamlesh Sharma ने कहा…

धन्यवाद आपका
आपके प्रयासों से वागड़ का शिल्प स्थापत्य देश दुनिया तक पहुंचेगा।

सहयोग बनाये रखे

Kamlesh Sharma ने कहा…

धन्यवाद आपका
आपके प्रयासों से वागड़ का शिल्प स्थापत्य देश दुनिया तक पहुंचेगा।

सहयोग बनाये रखे