माँ वड़ीखंड़ के रूप में ओबरी में विराजमान है महिषासुर मर्दिनी

वागड़ अंचल में माँ आदिशक्ति के विभिन्न रूप जन आस्था के केंद्र रहे हैं. डूंगरपुर ज़िले के ओबरी कस्बे में माँ वड़ीखंड़ का मंदिर भी क्षेत्र का प्रमुख आस्था स्थल है.  यहाँ माँ का महिषासुर मर्दिनी का विग्रह है, जिसे स्थानीय लोगो द्वारा माँ वडीखंड़ के नाम से पुकारा जाता है.

माँ वड़ीखंड़ की प्रतिमा
कहते हैं करीब 8०० साल पहले गुजरात के कडाणा से आए परमार वंश के राजपूतो और ब्राह्मणो ने माँ वड़ीखंड़ की प्रतिमा स्थापित की थी.  जो समय के साथ जन मन की जगजननी बन गई. ज़िले के आमझरा के अलावा पूरे वागड़ में माँ महिषासुर मर्दिनी का यह शायद इकलौता मंदिर है.  इस मंदिर में काले पत्थर से बनी माँ महिषासुर मर्दिनी की खड़ी अवस्था में आदमकद प्रतिमा हमें बरबस आकर्षित करती है.
मंदिर में माँ के दरबार में प्रथमेश गणपति, भैरवजी, पिंगला माताजी, नाग देवता की प्रतिमाएँ विराजमान हैं, वहीं इस पूर्वाभिमुख मुख्य मंदिर के उत्तर में हनुमानजी का नवनिर्मित मंदिर है. जहाँ बजरंगबली की आदमकद प्रतिमा भक्तो का कष्टभंजन करती है.  कहते हैं, कि पहले नवरात्रि की अष्ठमी पर इस मंदिर में महिष यानी पाडे/भैंसे की बलि दी जाती थी. लेकिन बदलते सामाजिक परिवेश में यह परम्परा बंद हो गई और अब सिर्फ हवन-पूजन होता है.
माँ वड़ीखंड़ मंदिर परिसर
इस मुख्य मंदिर के ठीक सामने करीब ६०० फीट पर एक लोढ़ीखंड़ मंदिर भी है. कहते हैं कि यहाँ माँ वड़ीखंड़ की अनुजा लोढ़ीखंड़ की मुर्ति विराजमान थी, जो किसी कारणवश प्रवाहित होकर समीप के सूर्यकुंड़ में समाहित हो गई. फिलहाल लोढ़ीखंड़ का यह मंदिर भग्नावस्था में है जिसे स्थानीय लोग भागाडेरा के नाम से जानते हैं.
सदियो से जन आस्था का केंद्र रहे इस मंदिर को हाल ही में जीर्णोद्धार किया गया उस समय घटी एक अदभुत घटना ने लोगो को चकित कर दिया. जून २०१७ में नवनिर्मित मंदिर में माँ की पुन: प्राण प्रतिष्ठा के लिए जब उन्हे धान्य के आगोश से बाहर निकालकर दर्पण दर्शन कराया गया तो माता के तेज़ से दर्पण तुरंत टूकड़े-टूकड़े होकर चकनाचूर हो गया. आस पास के क्षेत्र में यह एक अनूठी घटना थी.  जन आस्था ये है कि माता के दरबार में कई लोगों की मन्नते पूरी हुई हैं, अटके हुए काम पूरे हुए हैं. इस तरह माँ वड़ीखंड़ के चमत्कार की कई मिसाले रही हैं.
परिसर में हनुमान मंदिर
ऐसे कई अनुभवों का साक्षी रही माँ वड़ीखंड़ का दरबार सभी जाति-बिरादरी के लोगों का पूज्य मंदिर रहा है. दोनों नवरात्र के दौरान मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, हवन आदि होते हैं.

ओबरी क्षेत्र में विराट के प्राचीन अंधेरी माता मंदिर के बाद मातारानी का यही सबसे प्राचीन मंदिर है. जो न सिर्फ अपने भाव-प्रभाव के लिए विख्यात है, बल्कि मनोहारी वास्तु शिल्प का भी एक नायाब नमूना है. जोधपुरी लाल पत्थरों से बना यह  नवनिर्मित भव्य मंदिर बरबस हमें आकर्षित करता है. (Updated on 21/09/2017)
~जितेंद्र जवाहर दवे 

© सर्वाधिकार ब्लॉग व लेखक के पास सुरक्षित. बिना पूर्वानुमती के कॉपी पेस्ट करने पर कार्रवाई की जाएगी 

7 टिप्‍पणियां

अभिषेक मिश्र ने कहा…

Badhiya vishay, par thori aur jankari bhi honi chahiye thi. Swagat.

(gandhivichar.blogspot.com)

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नवीन पोस्ट के साथ स्वागत है आपका...........कई रोग दिल को खुशी देते है............आपका रोग भी ऐसा ही है, लिखते रहिये
रचना भी बहोत सुंदर है

सूर्यकरण सोनी 'सरोज' ने कहा…

Abhar sir

Unknown ने कहा…

अति सुंदर रचना मां वडीखंड के चरणों में बारंबार नमन
आपकी रचनात्मक शैली सदैव हिंदी जगत में आपके कौशल, आपकी प्रतिभा को निखारती है आपकी ब्लॉक हमेशा ज्ञानवर्धक प्रेरणास्पद और महत्वपूर्ण होते हैं हिंदी ज्ञान सभा में आप अपने ब्लॉक द्वारा सर्वोच्च शिखर पर पहुंचें इसी आशा के साथ आपका छोटा भाई हितेश पुरोहित ।

Dev Chavan ने कहा…

आपने जो जानकारी दी है वह बेहतरीन है। यह जानकारी निश्चित रूप से लोगों के काम आएगी। मैं आपसे संपर्क करना चाहता हूं।

बेनामी ने कहा…

जय वडिखंड मां साक्षात हाजरा -हजुर है,, किसी को शंका हो तो प्रत्यक्ष अनुभव कर लें।
विश्वास के साथ एक बार मानता मांग कर देखें।